अलवर.शहर में कोरोना की दूसरी लहर (Second wave of corona) का खासा प्रभाव रहा. बड़ी संख्या में लोगों ने अपने परिजन और रिश्तेदारों को खोया. साथ ही ऑक्सीजन की कमी के चलते प्रशासन को भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. ऐसे में देश में कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variants) सहित अन्य वेरिएंट के मिल रहे मरीजों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की तरफ से जिले में काम शुरू कर दिया गया है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सीएचसी और पीएचसी पर करीब 200 कोऑर्डिनेटर कर्मचारी लगाए गए हैं. जिले में सभी सरकारी अस्पतालों में करीब 800 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जरूरत के हिसाब से भेजे गए हैं. साथ ही 60 बेड वाले सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम भी चल रहा है. निजी अस्पतालों को भी ऑक्सीजन प्लांट लगवाने के निर्देश दिए गए हैं.
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जिले की जरूरत के हिसाब से दवा और जांच किट का बफर स्टॉक मेंटेन किया गया जा रहा है. अलवर जिले में इस समय प्रतिदिन 5000 लोगों की कोरोना जांच पड़ताल की जा रही है. ऐसे में 4 माह के हिसाब से एक लाख 80 हजार जांच किट की डिमांड स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भेजी गई है. साथ ही 4 माह के अनुसार जरूरी दवाओं का स्टॉक भी पीएससी स्तर पर किया जा रहा है.
जिससे किसी भी तरह की परेशानी होने पर उससे निपटा जा सके. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से घर-घर सर्वे के लिए एक विशेष कमेटी बनाई गई है, जो लगातार पूरे जिले में सर्वे का काम कर रही है. स्वास्थ विभाग की तरफ से सभी डॉक्टरों को ऑक्सीजन व्याख्यान कंसंट्रेटर काम में लेने की ट्रेनिंग दी गई है. साथ ही सरकार की मिलने वाली गाइडलाइन पर तुरंत अलर्ट रहने के लिए कहा गया है.
ऑक्सीजन प्लांट के हालात: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की कमी हुई. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से ऑक्सीजन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जिले में 17 ऑक्सीजन प्लांट के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं. इनमें से तीन ऑक्सीजन प्लांट लग चुके हैं. दो प्लांट लगने की प्रक्रिया अभी चल रही है. साथ ही आगामी 10 दिनों में अन्य जगहों पर भी प्लांट लग जाएंगे. 8 प्राइवेट हॉस्पिटल में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने के निर्देश दिए गए हैं. कुछ प्लांट विधायक कोटे कुछ निजी कंपनियों की मदद से भी लगाए गए हैं.
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जिले में जांच में दवाई की व्यवस्था: अलवर जिले में इस समय प्रतिदिन 5 हजार कोरोना की जांच हो रही है. इसमें 2000 जांच रैपिड किट से की जा रही है. इसके हिसाब से एक लाख 80 हजार किट की डिमांड स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय भेजी गई है. दूसरी तरफ सभी सरकारी अस्पतालों में 4 माह के दवाई का स्टॉक किया जा रहा है. जरूरत के हिसाब से दवाई के डिमांड भी स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय भेजी गई है.