राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

SPECIAL: लापरवाही की हद!... इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे मरीज, वेंटिलेटर पर रखने के बजाए किया जा रहा रेफर - अलवर के अस्पताल में नहीं हो रहा वेंटिलेटर का उपयोग

कोरोना के गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत होती है, ताकि उनकी जान बचाई जा सके. लेकिन राजस्थान के अलवर जिले में अस्पताल में वेंटिलेटर होने के बाद भी मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है. जिससे कई मरीजों की अब तक मौत हो गई है. आखिर इस लापरवाही का कौन है जिम्मेदार? देखें यह रिपोर्ट...

Patients dying due to corona,  corona in Alwar , अलवर के अस्पताल में नहीं हो रहा वेंटिलेटर का उपयोग
दम तोड़ रहे मरीज, धूल फांक रहे वेंटिलेटर

By

Published : Sep 18, 2020, 1:31 PM IST

अलवर.प्रदेश काअलवर जिला कोरोना का एपिसेंटर बन चुका है. कोरोना मरीजों के आंकड़े अगर देखें तो अलवर जिला प्रदेश में तीसरे नंबर पर है. हर दिन बड़ी संख्या में गंभीर मरीज मिल रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जिले में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन अलवर में मरीज का इलाज करने की जगह डॉक्टर केवल उनको रेफर करने में लगे हुए हैं. इतना ही नहीं रेफर की प्रक्रिया के दौरान कई मरीज की जान भी जा चुकी है, लेकिन उसके बाद भी लगातार यह सिलसिला जारी है.

दम तोड़ रहे मरीज, धूल फांक रहे वेंटिलेटर

अस्पताल में कुल 64 वेंटिलेटर

कोरोना काल से पहले अलवर के जिला अस्पताल के पास 10 वेंटिलेटर थे. विभिन्न स्थानों से सहयोग के बाद अब उनकी संख्या बढ़कर 64 हो गई है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इनमें से आज तक एक भी वेंटिलेटर का उपयोग कोरोना मरीज की जान बचाने के लिए नहीं किया है. मरीज की हालत खराब होने पर उसे तुरंत रेफर कर दिया जाता है. इसका परिणाम मरीज के परिजनों को भुगतना पड़ता है.

क्या कहते हैं आंकड़े

70 रेफर किए मरीजों में से 25 की मौत

सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो स्वास्थ्य विभाग की तरफ से 70 से ज्यादा गंभीर मरीजों को इलाज के लिए जयपुर रेफर किया गया. इनमें से 25 मरीजों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. ऐसे में साफ है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते अलवर में लगातार लोगों की जान जा रही है. राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंस में जितने भी वेंटिलेटर हैं, उससे कहीं ज्यादा वेंटीलेटर अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में हैं. लेकिन फिर भी अब तक 70 से ज्यादा मरीजों को सामान्य अस्पताल और अलवर चिकनी के लोटस हॉस्पिटल से रेफर किया जा चुका है. कुछ मरीज अब भी गंभीर हालत में हैं.

पढे़ं:Special: संकट में पाली के अन्नदाता, खेतों में खड़ी फसलें खराब, आर्थिक संकट में किसान

इनमें से कुछ मामले तो स्वास्थ्य विभाग के परिवार से जुड़े हैं. मरीजों की जान बचाने के लिए तमाम व्यवस्थाओं का दावा करने वाले सामान्य अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े देखकर खुलती है. मरीज के खून में गैस की मात्रा की जांच करने वाली एवीजी मशीन जिसकी जरूरत लॉट्स अस्पताल में है, वो मशीन वहां नहीं है. एमआरएस से पिछले दिनों नई मशीन 35 लाख रुपए की खरीद की गई. लेकिन यह भी सामान्य अस्पताल में ही रखी हुई है. एक्सपर्ट का कहना है कि बिना एवीजी रिपोर्ट के वेंटिलेटर को काम में नहीं लिया जा सकता है. किसी मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत है या नहीं इसका पता एवीजी रिपोर्ट के आधार पर होता है.

क्या कहते हैं आंकड़े

इन जगहों से लाए गए लाखों के वेंटिलेटर

सामान्य अस्पताल ने एमआरएस से तीन वेंटिलेटर 34.50 लाख रुपए के खरीदे थे. इसके अलावा हॉस्पिटल में 10 वेंटिलेटर पहले से थे. 4 वेंटिलेटर एसबीआई, 8 राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन जयपुर, 3 भिवाड़ी, 3 डीएमएफटी और 33 लीटर पीएम केयर्स फंड से अलवर को मिले हैं. इनमें से अभी 12 वेंटिलेटर हॉस्पिटल के स्टोर में रखे हुए हैं, जबकि अन्य लॉट्स और सामान्य अस्पताल में रखे हुए हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े

सामान्य हॉस्पिटल के स्टोर से चार वेंटिलेटर फ्लोटिंग वार्ड, दो मेल मेडिकल, दो मेल सर्जिकल, 2 फीमेल सर्जिकल, दो फीमेल मेडिकल, तीन सर्जिकल आईसीयू, एक मेडिकल आईसीयू, 5 महिला अस्पताल एमसीएच यूनिट, 21 लॉट्स हॉस्पिटल को इशू किए गए हैं. इसके अलावा ट्रोमा, मेडिकल आईसीयू और सर्जरी आईसीयू में 10 वेंटिलेटर पहले से लगे हुए हैं. बचे हुए वेंटिलेटर स्टोर में रखे हुए हैं.

पढे़ं:SPECIAL: महिलाओं की गरिमा को बचाए रखने के लिए 24 घंटे कार्यरत है महिला गरिमा हेल्पलाइन

विशेषज्ञों की मानें तो जिन मरीजों को अलवर से जयपुर के लिए रेफर किया गया. उनको अलवर के वेंटिलेटर में ही रखा जा सकता था. ऐसे में उन लोगों की जान बच सकती थी, लेकिन डॉक्टरों ने खुद को परेशानी से बचाने के लिए उन मरीजों को जयपुर रेफर कर दिया.

क्या कहते हैं आंकड़े

स्वास्थ विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों को वेंटिलेटर लगाने की ट्रेनिंग पहले ही दी जा चुकी है, लेकिन उसके बाद भी डॉक्टर वेंटिलेटर नहीं लगा रहे हैं. जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 11 हजार से अधिक पहुंच चुकी है, जबकि करीब 9550 से मरीज ठीक हो चुके हैं. अभी 2,000 एक्टिव केस हैं. 50 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. वहीं करीब 1800 मरीजों का होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details