अलवर.सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाली बेटियों को राजश्री योजना के तहत प्रोत्साहन राशि दी जाती है, लेकिन अलवर जिले में हजारों की संख्या में ऐसी बेटियां हैं, जिनको लंबे समय से यह प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. जबकि सरकार द्वारा गरीब बेसहारा लोगों को मदद उपलब्ध कराने के तमाम दावे किए जाते हैं और आए दिन नई सरकारी योजनाएं निकाली जाती हैं, लेकिन ज्यादातर योजनाओं का लाभ जरूरतमंद को नहीं मिल पाता है.
सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाली 13.84 फ़ीसदी बेटियों को राजश्री योजना की प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. महिला अस्पताल में जन्मी 4331 बेटियां प्रोत्साहन राशि की पहली किस्त से वंचित हैं. अक्टूबर तक 45 महीनों में विभाग इन बेटियों को नहीं ढूंढ पाया है, क्योंकि उनके जन्म तो सरकारी अस्पताल में हुआ है, लेकिन उनकी मां के आधार कार्ड उपलब्ध नहीं हैं और ना ही बैंक खाते सही हैं. ऐसे में प्रोत्साहन राशि बेटी के परिजनों तक नहीं पहुंच पा रही है.
दूसरी तरफ जन्म पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि की पहली किस्त का लोगों ने क्लेम भी नहीं किया है, क्योंकि जिले में हरियाणा की महिलाओं की भी काफी संख्या में डिलीवरी होती है. चिकित्सा विभाग दूसरे राज्यों की बेटियों को अभी तक नहीं ढूंढ पाया है. जिन महिलाओं ने बेटियों को जन्म तो दिया, उनमें से ज्यादातर ने स्थानीय पता ही रिकॉर्ड में लिखवा दिया और अब उन पतों की जानकारी नहीं मिल पा रही है. अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2020 तक जिले के सरकारी अस्पतालों में 86 हजार 145 बेटियों ने जन्म लिया. इनमें से 74 हजार 225 बेटियों को ही राजश्री योजना की 2100 रुपए की पहली किस्त का भुगतान हुआ है. जबकि 11 हजार 920 बेटियां ऐसी हैं, जो अभी तक सरकार की इस प्रोत्साहन राशि से वंचित हैं.
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महिला अस्पताल में जन्म लेने वाली 4331 बेटियों को प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. इसी तरह से बानसूर में 967, बहरोड़ में 634, खेड़ली में 142, किशनगढ़ बास में 451, कोटकासिम में 246, लक्ष्मणगढ़ में 746, मालाखेड़ा में 486, मुंडावर में 147, राजगढ़ में 273, रामगढ़ में 592, शाहजहांपुर में 493, थानागाजी में 180, तिजारा में 2031, सेटेलाइट अस्पताल में 154 बेटियां अब तक प्रोत्साहन राशि से वंचित चल रही हैं.