अलवर. जिले में 12 हजार से अधिक औद्योगिक इकाई है. इनमें लाखों श्रमिक काम करते हैं. लॉकडाउन के कारण श्रमिक अपने घर लौट रहे थे. ऐसे में सरकार ने श्रमिकों को हर संभव मदद पहुंचाने का वादा करते हुए जहां पर हैं वहीं रहने के लिए कहा. सरकार ने इस संबंध में बड़े-बड़े दावे किए थे.
सरकारी मदद को तरस रहे प्रवासी श्रमिक सरकार ने श्रमिकों को सरकारी राशन की दुकानों से राशन किट उपलब्ध कराने की बात कही थी. इस संबंध में सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए. लेकिन अलवर में ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में सभी दावे गलत साबित हुए.
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अलवर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र स्थित कमला बस्ती कि रियलिटी चेक
ईटीवी भारत की टीम ने अलवर शहर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र स्थित कमला बस्ती में रहने वाले श्रमिकों से बातचीत की. ईटीवी भारत की टीम को देखकर प्रशासन के प्रति लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. लोगों का कहना था कि सरकार ने दावे किए थे, लेकिन अभी तक ना तो यहां रहने वाले लोगों को राशन मिला है और ना ही कोई राशन किट मिली है. ऐसे में श्रमिक खासे परेशान हैं.
नहीं ले रहा कोई सुध
रियलिटी चेक में सामने आया कि श्रमिकों को दो वक्त की रोटी के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलान पड़ रहा है. ईटीवी भारत से श्रमिकों ने अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा कि कुछ समय पहले कुछ लोग बस्ती में आए थे, वो नाम लिखकर लेकर गए थे. लेकिन इसके बाद से आज तक कोई सुध नहीं ली गई. जबकि अब तो लॉकडाउन की अवधि में भी विस्तार हो चुका है.
दुकानदार उधार में नहीं दे रहे राशन
श्रमिकों ने कहा कि वो ठेकेदारों के माध्यम से कंपनियों में लगे हुए हैं. ठेकेदारों ने वेतन भी काट लिया है. आने वाले दिनों का वेतन मिलेगा या नहीं यह भी निश्चित नहीं है. उनका कहना है कि ऐसे में आसपास की दुकानों से उधार राशन लेकर जीवन यापन किया जा रहा है. अब तो दुकानदार ने भी राशन देने से मना कर दिया है.
सरकार के दावे फेल
श्रमिकों ने बताया कि वो जिस मकान में रहते हैं, उस मकान का किराया भी देना है. ऐसे में अलवर में रहने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए अलवर में रहना बड़ी परेशानी बन चुका है. बच्चों के लिए दूध राशन नहीं मिल रहा है. प्रशासन ने श्रमिकों को राशन पहुंचाने के दावे किए थे, लेकिन अलवर में सभी दावे रियलिटी चेक में गलत साबित हुए.