अलवर. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव के बीच गुरुवार से जंग की शुरुआत हो गई है. गुरुवार सुबह से बमबारी चल रही है. वहां रहने वाले हजारों भारतीय परेशान हैं. वहीं भारत में रहकर अपने बच्चों की सलामती का इतंजार करने वाले परिजनों की सांसें भी वर्तमान हालात को देखकर अटक गईं हैं. गुरुवार को यूक्रेन से अलवर लौटे 2 मेडिकल छात्रों (Medical students returned to Alwar from Ukraine) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए यूक्रेन के हालात साझा किए.
उन्होंने कहा कि खाद्य सामग्री की दुकानों पर लोगों की लंबी कतारें हैं. लोग खाने का सामान स्टोर कर रहे हैं. यूक्रेन की सरकार ने बंकर शुरू कर दिए हैं. सायरन बजते ही बंकर में जाना पड़ता है. भारत के लोग सोशल मीडिया में ग्रुप के माध्यम से आपस में जुड़े हुए हैं. अभी तक भारत सरकार की तरफ से कोई मदद उपलब्ध नहीं कराई गई है. छात्र खुद के खर्चे पर टिकट बुक करके अपने घर लौटे हैं.
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सभी मिलकर काम कर रहे
अलवर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र में रहने वाले दीपक चौधरी ने बताया कि वो खार्किव शहर में रहते हैं. खार्किव मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं. उनका चौथा साल है. इस तरह के हालात पहले कभी नहीं देखे. अचानक हालात खराब हुए हैं. यूक्रेन की सरकार लोगों को हर संभव मदद उपलब्ध करा रही है. दीपक ने कहा कि जिस एजेंट के माध्यम से उन्होंने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया वो एजेंट उनके कॉलेज के सीनियर छात्र सभी मिलकर काम कर रहे हैं.
वहां रहने वाले भारतीयों के भी संपर्क में है. एक दूसरे को मदद भी उपलब्ध करा रहे हैं. दीपक ने कहा कि जब वो वहां से निकले उस समय तक हालात ठीक थे. लेकिन अब अचानक हालात खराब होने लगे हैं. बमबारी शुरू हो गई गई. ऐसे में देश में स्टूडेंट और परिजन परेशान हैं. कई शहरों में फोन सेवा भी बंद कर दी गई है. यूक्रेन में रहने वाले लोगों से संपर्क भी नहीं हो पा रहा है.
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जुनैद बोले, हालात हैं खराब
अलवर के बहाला गांव के रहने वाले जुनैद ने बताया कि यूक्रेन में हालात खराब हैं. अभी खाने का सामान मिल रहा है. लेकिन जिस तरह की स्थितियां हैं आने वाले समय में लोगों को खाने का सामान, पानी अन्य चीजों के लिए भी परेशान होना पड़ सकता है. सभी स्टोर में लोगों की भारी भीड़ लगी हुई है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार की तरफ से अभी तक कोई मदद उपलब्ध नहीं कराई गई है. इंडियन एयरलाइंस की तीन फ्लाइट शुरू हुई थी लेकिन उनमें से एक फ्लाइट ही आई है.
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अचानक बदल गए हालात
आज युद्ध शुरू हो चुका है. इसलिए फ्लाइट को कैंसिल कर दिया गया है. साथ ही टिकट भी कई गुना महंगी हो गई है. जुनैद ने कहा कि यूक्रेन में पहले किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई. लोग सामान्य जीवन जी रहे थे. अन्य जगहों की तरह पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन अचानक कुछ ही दिनों में हालात बदले हैं. वहां रहने वाले भारतीयों के मन में डर है. छात्र या नौकरी के लिए जाने वाले लोग डरे हुए हैं. सभी लोगों को उनके क्षेत्र के आसपास बने बंकरों की जानकारी दी जा रही है.
शहर में तेज सायरन बजने की आवाज आती है. सायरन बजते ही लोगों को बंकरों में जाना पड़ता है. सरकार को वहां रहने वाले छात्र और लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए. सभी को सुरक्षित वहां से निकालने की आवश्यकता है. वहां रहने वाले सभी भारतीय आपस में सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े हुए हैं. लोग ग्रुप बनाकर एक दूसरे के संपर्क में हैं और पल-पल की एक दूसरे से जानकारी शेयर कर रहे हैं.
कई और भी छात्र हैं फंसे
अलवर के शिवाजी पार्क निवासी नेहा वर्मा के पिता भूपेन्द्र वर्मा ने बताया कि उनकी बेटी यूक्रेन के कीव शहर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है. यूक्रेन में चल रहे विवाद और मीडिया रिपोर्ट को देखकर परिवार में चिंता का माहौल है. वैसे तो बेटी से रोजाना फोन पर दिन में दो से तीन बार बात हो जाती है, लेकिन चिंता होना स्वाभाविक है. भारतीय दूतावास की ओर से बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बखूबी निभाई जा रही है.
अलवर 200 फुट रोड भीम नगर निवासी प्रतिभा बौद्ध के पिता ताराचन्द बौद्ध बताते हैं कि उनकी बेटी प्रतिभा यूक्रेन के जफरोजिया शहर में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है. रोजाना टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में यूक्रेन के हालात की जानकारी मिल रही है. इससे परिवार में बेटी को लेकर चिन्ता बढ़ गई है. बताया कि प्रतिभा फरवरी में यूक्रेन गई है. फ्लाइट का किराया भी 2 लाख तक हो गया है.
अलवर के अपना घर शालीमार निवासी मुस्कान कपूर के पिता शशि कपूर ने बताया कि उनकी बेटी यूक्रेन के कीव शहर से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है और तृतीय वर्ष की छात्रा है. जून में गई है. माहौल खराब होने के बारे में सुनकर चिन्ता हुई तो बेटी को वापस घर बुला लिया है. वह मंगलवार को भारत आ जाएगी. बेटी से मिलकर ही मन को शांति मिली.