अलवर. अलवर में भगवान जगन्नाथ के कंगन डोरे बंध चुके हैं और हाथों में मेहंदी लग चुकी है. सोमवार को भगवान की शोभायात्रा निकलेगी. उसके बाद माता जानकी के साथ उनका विवाह होगा, लेकिन 165 साल में पहली बार यह सभी रस्म और कार्यक्रम मंदिर प्रांगण में होंगे. कोरोना के चलते इन कार्यक्रमों में अलवर के लोग हिस्सा भी नहीं ले सकेंगे.
देश में जगन्नाथ पुरी के बाद भगवान जगन्नाथ की सबसे बड़ी रथ यात्रा अलवर में निकलती है. जगन्नाथपुरी में भगवान जानकी जी के साथ शहर भ्रमण पर निकलते हैं, जबकि अलवर में भगवान जगन्नाथ का जानकी जी के साथ विवाह होता है. अलवर के पुराना कटरा स्थित जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होती है, जो पूरे शहर में भ्रमण करती हुई जगन्नाथ मेला स्थल तक पहुंचती है. इससे पहले माता जानकी जी और उनके भाई रथ में सवार होकर जगन्नाथ मंदिर से मेला स्थल पर पहुंचते हैं.
3 दिनों तक यहां मेला भरता है. उसके बाद भगवान जगन्नाथ का जानकी जी के साथ विवाह होता है. इस पूरे कार्यक्रम में हर साल लाखों लोग साक्षी बनते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण काल के बीच इस बार सभी कार्यक्रम रद्द हो गए हैं. यह सभी कार्यक्रम जगन्नाथ मंदिर स्थित प्रांगण में चल रहे हैं. तय तिथि के अनुसार भगवान जगन्नाथ के विवाह की सभी रस्म चल रही हैं. भगवान के कंगन डोरे बंध चुके हैं और मेहंदी लग चुकी है. सोमवार को मंदिर में ही भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. उसके बाद उनका जानकी जी के साथ विवाह होगा.