अलवर.एनसीआर में आने वाला अलवर जिला भौगोलिक दृष्टि से अपने आप में राजस्थान के सभी जिलों से अलग है. पर्यटन की दृष्टि से यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल है जो अपने आप में सैलानी पर एक छाप छोड़ती है. लेकिन प्रशासन व सरकार की अनदेखी के चलते यहां के पर्यटन स्थलों के हालात खराब हो रहे हैं. इसलिए लगातार अलवर में पर्यटकों की संख्या भी कम हो रही है. यही हालात रहे तो आने वाले समय में अलवर अपना इतिहास खोने लगेगा.
अलवर में प्रमुख 15 पर्यटन स्थल
अलवर जिले में होने को सैकड़ों पर्यटन स्थल है। लेकिन प्रमुख की बात करें तो 15 प्रमुख पर्यटन स्थल है. जिनकी देश-विदेश में अलग पहचान है. इनमें फतेह जन गुंबद, सिलीसेढ़ झील, जयसमंद झील, बाला किला, अजबगढ़-भानगढ़, कंपनी बाग, सिटी पैलेस, मूसी महारानी की छतरी, सागर जलाशय, राजकीय संग्रहालय, भृतहरि धाम, सरिस्का अभ्यारण, पांडुपोल हनुमान मंदिर, ताल वृक्ष व नीलकंठ महादेव मंदिर अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थल है. यह सब पर्यटन स्थल अपनी अलग पहचान रखते हैं.
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450 साल पुराना अलवर का 'कुंवारा' बाला किला
बाला किले की बात करें तो 450 साल पुराना अलवर का कुंवारा किला है. अलवर शहर से बाला के लिए की दूरी करीब 6 किलोमीटर है. यह किला सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है. बाला किले से शहर का भव्य रूप नजर आता है. यह किला 8 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है. युद्ध के दौरान दुश्मन पर गोली बरसाने के लिए इसको खासतौर से तैयार किया गया है. कायमखानी शैली के इस किले में 500 बंदूक के लिए जगह बनी हुई हैं. इनमें से 10 फीट दूरी से गोली चलाई जा सकती है. दुश्मनों पर नजर रखने के लिए 15 बड़े, 51 छोटे बुर्ज और 3359 कंगूरे हैं.
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अपनी वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध बाला किला
इस किले पर मुगलों, मराठों, जाट और राजपूतों का शासक रहा. इसके लिए उसे कभी युद्ध नहीं हुआ. इसलिए इसको कुंवारा किला भी कहा जाता है. इसका निर्माण 1550 में हसन खां मेवाती ने करवाया था. यह किला अपनी वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है. अंदर से यह किला विभिन्न भागों में बंटा हुआ है. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए कई तरह की सीढ़ियां हैं तो वहीं किले में कई मंदिर है. बाला किला क्षेत्र में करणी माता मंदिर, तोप वाले हनुमान जी, चक्रधारी हनुमान जी, सीता राम मंदिर सहित अन्य मंदिर जलाश्य सागर सहित घूमने के लिए कई तरह के स्थान हैं.