अलवर.कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है. सरकार व प्रशासन ने इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी बीच अलवर में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. अलवर के सरकारी हॉस्पिटल में केवल जन्म से 28 दिन तक के बच्चों के इलाज की सुविधा है. उसके बाद 18 साल तक की उम्र के बच्चों, किशोरों के इलाज की जिले में कोई व्यवस्था नहीं है. जिले में केवल दो निजी अस्पताल ऐसे हैं, जहां 18 साल तक के बच्चों के इलाज के सीमित संसाधन हैं.
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अलवर में प्रशासन की तरफ से बच्चों के बेहतर इलाज के दावे किए जाते हैं. प्रशासन का दावा है कि सीएचसी स्तर पर बच्चों का इलाज हो सकेगा. सभी जिला अस्पतालों के अलावा सीएचसी स्तर पर भी बच्चों का आईसीयू तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं. अलवर में जन्म से 28 दिन तक के बच्चों की गीतानंद शिशु अस्पताल में इलाज की सुविधा है. उसके बाद की उम्र के बच्चों के इलाज की कोई सुविधा नहीं है. हालांकि प्रशासन व सरकार का दावा है कि जिले में बेहतर इंतजाम किए जा रहे हैं. इस दिशा में काम शुरू हो चुका है.
अलवर में एक जिला अस्पताल, 2 सैटेलाइट अस्पताल, एक शिशु अस्पताल, एक जनाना अस्पताल, 40 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व 200 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. अब तक बच्चों के इलाज की सुविधा केवल जिला मुख्यालय पर है. अन्य जगहों पर रेमडेसिविर, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सहित अन्य व्यवस्थाएं नहीं हैं. कोरोना की दूसरी लहर में अलवर में 500 से अधिक बच्चे संक्रमित हुए.