अलवर.प्रदूषण का स्तर 3 गुना तक पहुंच चुका है, आमतौर पर प्रदूषण का स्तर पीएम10 100यूजी से कम रहना चाहिए. लेकिन अलवर में 200 से 300 यूजी प्रदूषण का स्तर पहुंच चुका है. जबकि अलवर का भिवाड़ी शहर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो चुका है. भिवाड़ी में प्रदूषण का स्तर पीएम10 300 से अधिक पहुंचा था. प्रदूषण कम करने के लिए सरकार की तरफ से कई प्रयास किए गए, लेकिन प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ.
सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी के तमाम आदेशों के बाद भी राज्य सरकार की तरफ से प्रदूषण कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए. इसी दौरान कोरोना वायरस के चलते पूरा देश लॉकडाउन हुआ. लॉकडाउन होने के कारण पूरा देश थम गया. ऐसे में प्रदूषण तेजी से कम हुआ. प्रदूषण का स्तर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा. मतलब हवा पूरी तरीके से शुद्ध हुई और विजिबिलिटी क्लियर हुई तो वहीं लोगों को स्वच्छ व साफ हवा मिली.
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तीसरे फेस के लॉकडाउन के दौरान सरकार की तरफ से औद्योगिक क्षेत्रों को खोलते हुए उद्योगों को रियायत दी गई. अलवर के सभी औद्योगिक क्षेत्र खुल चुके हैं, इसके अलावा औद्योगिक इकाइयां भी शुरू हो चुकी हैं. अलवर में छोटे बड़े 16 औद्योगिक क्षेत्र हैं, जो पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखते हैं. इन क्षेत्रों में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. धीरे-धीरे इकाइयां खुलने लगी हैं. साथ ही प्रदूषण भी फैलने लगा है. अलवर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों की चिमनी धुआं छोड़ने लगी है. इसके अलावा औद्योगिक इकाइयां बिना पानी का शोधन किए केमिकल वाला पानी नालों में छोड़ रही हैं. अलवर के एमआईए, राजगढ़, बहरोड़, थानागाजी, भिवाड़ी, खुशखेड़ा, तिजारा, टपूकड़ा और नीमराना सहित पूरे जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में 20 प्रतिशत ऐसी औद्योगिक इकाइयां हैं, जो धुआं छोड़ती हैं. इसके अलावा कुछ केमिकल की फैक्ट्री है. जो लगातार केमिकल छोड़ती है. इसके अलावा मिनरल्स यूनिट भी अलवर में ज्यादा है.