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दम तोड़ते रहे मरीज लेकिन इम्युनिटी बढ़ाने वाले महंगे इंजेक्शन का नहीं किया इस्तेमाल, देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट - immunity buster injections

अलवर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. एक तरफ जिले में कोरोना का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लापरवाही बढ़ती जा रही है. कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत महंगे इंजेक्शन कोरोना मरीज के लिए भेजे गए, लेकिन डॉक्टरों ने इन इंजेक्शन का इस्तेमाल नहीं किया. ऐसे में प्रशासन की तरफ से वापस इंजेक्शन को स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय जयपुर भेज दिया गया है. इसका सीधा खामियाजा कोरोना मरीजों को उठाना पड़ेगा. देखें यह ग्राउंड रिपोर्ट...

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अलवर में अस्पताल प्रशासन की सामने आई बड़ी लापरवाही

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Published : Sep 25, 2020, 2:27 PM IST

अलवर.जिले में अब तक कोरोना के 11 हजार से अधिक मरीज मिल चुके हैं. हर दिन ये आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. बिगड़ते हुए हालात को देखते हुए अलवर में टोर्सिलिन नाम का महंगा इंजेक्शन मरीज की इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए भेजा गया था. यह एक इंजेक्शन बाजार में 40 हजार रुपए का मिलता है. अब तक इसका प्रयोग सिर्फ चीन, स्विजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, मुंबई, दिल्ली जयपुर सहित बड़े शहरों में मरीजों के लिए हो रहा था, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों यह इंजेक्शन जिला स्तर पर भी उपलब्ध कराए, ताकि मरीजों को जयपुर या कहीं आगे इलाज के लिए ना भेजा जाए.

अलवर में अस्पताल प्रशासन की सामने आई बड़ी लापरवाही

पांच इंजेक्शन सरकार को भेजे गए वापस

इस इंजेक्शन को लगाने से पहले मरीज के छह अलग-अलग तरह के टेस्ट किए जाते हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और उदासीनता का यह परिणाम रहा कि टेस्ट की सुविधा अलवर में नहीं ली गई. ऐसे में 40 हजार के ऐसे पांच इंजेक्शन सरकार को वापस भेज दिए गए हैं.

यह जांच अलवर के प्राइवेट लैब में हो सकती है. जांच में करीब 10 से 12 हजार रुपए तक का खर्च आता है, लेकिन सरकार की तरफ से जांच के लिए किसी लैब से करार नहीं किया गया, इसलिए इंजेक्शन को वापस भेजना पड़ा.

जिले में लगातार बढ़ रहे संक्रमित मरीज

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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह इंजेक्शन शरीर की इम्यूनिटी पावर बढ़ाने में काम आता है. आसानी से यह इंजेक्शन लोगों को उपलब्ध नहीं है, जबकि सरकार की तरफ से जिला स्तर पर इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं. इंजेक्शन दिए जाने से पहले डी टाइमर, एस फेरेटिन, il-6 एचएस सीआरपी, पीटीसी प्रो कैल्सीटोनिन, आईजीडी, एंटीबॉडी कोविड-19 जैसी जांच मरीज की होती है.

इन जांचों की सुविधा सरकारी अस्पताल में नहीं है, लेकिन निजी लैब में यह जांच हो सकती है. यह जांच s.m.s. मेडिकल कॉलेज से भी सस्ते दाम में उपलब्ध है. अलवर में कोरोना के मरीजों की संख्या 11,605 हो चुकी है. जिले में अब तक कोरोना से 52 लोगों की मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं. जिले में कोरोना वायरस का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. बिगड़ते हालातों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लगातार अलवर में कोरोना की मॉनिटरिंग की जा रही है.

मरीजों की इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करती है यह इंजेक्शन

जिले में मरीजों का बेहतर इलाज हो, इसके लिए सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन उसके बाद भी लगातार स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बड़ी लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं.

जिले के विभिन्न इलाकों में मरीजों की संख्या

अलवर शहर 3750, भिवाड़ी 2468, शाजापुर 366, थानागाजी 148, बहरोड 574, बानसूर 287, किशनगढ़बास 726, तिजारा 852, कोटकासिम 246, खेड़ली 331, मुंडावर 301, रामगढ़ 277, लक्ष्मणगढ़ 375, मालाखेड़ा 301, राजगढ़ 187, रैणी 166 जबकि अन्य जगहों में अब तक 263 मामले सामने आए हैं.

एक इंजेक्शन की कीमत थी 40 हजार रुपए

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मरीजों को नहीं मिलती एंबुलेंस की सुविधा

अस्पताल में आने वाले मरीजों को एक्सरे, सिटी स्कैन, एमआरआई सहित विभिन्न जांच कराने के लिए खासी परेशानी उठानी पड़ती है. वहीं मरीजों को एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं मिलती है, क्योंकि कोविड केयर सेंटर अलवर शहर से 15 किलोमीटर दूर है. वहां जांच की सुविधा नहीं है. जांच की सुविधा केवल राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में है. ऐसे में मरीज और उनके परिजनों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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