अलवर. शहर में कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच बाजार में दवा और सर्जिकल सामान की कमी होने लगी है. कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में काम आने वाली दवा और इंजेक्शन बाजार में नहीं मिल रहे हैं, ऐसे में मरीज परेशान हैं. यही नहीं रेमडेसिविर और टोसीलीजुमैब जैसे जरूरी इंजेक्शन को भी सरकार ने अपने अधिग्रहण में ले लिया है.
किडनी और फेफड़ों का इन्फेक्शन कम करने के इंजेक्शन, खून पतला करने के इंजेक्शन के अलावा कई जरूरी दवा और इंजेक्शन मरीजों को बाजार में नहीं मिल रहे हैं. हालांकि अब मरीजों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. बाजार में उसी कंपोजिशन के अन्य इंजेक्शन और दवाएं उपलब्ध हैं, जिनको काम में लेने से मरीजों को राहत मिल सकती है.
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बाजारों में इन दवाओं की कमी
- एजिथोमाइसिन
- पेरासिटामोल
- लिबोसिटराजिन
- जिंक, एसकोरबिड एसिड
- डेक्सामैथासोन
- रेमडेसिवीर (Remdesivir injection)
- हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ( Hydroxychloriquine)
- टोसीलीजुमैब
- युलिनाफिक
- डोलो
- रिवोलेस
- पेडनमेन्ट
- लोनोपीन
कोरोना की दवा मिलने में परेशानी
उन सभी दवाओं की कमी है, जो लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में काम आ रही हैं. इनमें से कुछ दवा लीवर हार्ड, किडनी, हड्डी सहित कई अन्य बीमारियों के मरीजों के काम आती हैं. जिनको जरूरत के हिसाब से डॉक्टर इस्तेमाल कर रहे हैं.
'दवाई की कमी नहीं'
थोक दवा विक्रेताओं का कहना है कि दवा की कमी नहीं है. कुछ ब्रांड की दवा बाजार में नहीं मिल रही है, उनकी जगह पर कई अन्य विकल्प मौजूद हैं. लोग उन दवाओं को ले सकते हैं. ऐसे में लोगों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है.
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बाजार से दवाईयां गायब!
- बाजार से मल्टी विटामिन, जिंक, खांसी के सीरप और विटामिन सी की दवाएं गायब हो रही है.
- ऑक्सीजन मापने वाला ऑक्सीमीटर भी बाजार से अचानक गायब हो गया है.
- ऑक्सीजन और पल्स मापने का जो मीटर कोरोना महामारी से पहले 300 से 400 का आता था, वो आज एक से तीन हजार रुपए से ज्यादा दामों में बाजार में मिल रहा है.
- अच्छी कंपनियों के पल्स ऑक्सीजन मीटर तो बाजार में मिलना बंद हो गए हैं.
- सिर्फ चाइनीज पल्स ऑक्सीमीटर के भरोसे लोगों का काम चल रहा है.
ऑक्सीमीटर रेगुलेटर के दामों में बढ़ोतरी
सर्जिकल आइटम की है ज्यादा जरूरत
दवाओं के अलावा इस समय सर्जिकल आइटम की ज्यादा डिमांड है. कोरोना के 30 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. लोगों को ऑक्सीजन के सिलेंडर तो मिल रहे हैं, लेकिन सिलेंडर के ऊपर लगने वाला रेगुलेटर नहीं मिल रहा है. ऑक्सीजन सिलेंडर, पल्स ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन जनरेटर और थर्मामीटर सहित कई ऐसे उपकरण है, जिनकी लगातार कमी हो रही है. लोगों को इन सामान के कई गुना ज्यादा दाम देने पड़ रहे हैं. सरकार और प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है.
दवाई और सर्जिकल आइटम की हो रही है कालाबाजारी
सरकार और प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी बाजार में जमकर दवा और सर्जिकल आइटम की कालाबाजारी हो रही है. जरूरी जीवन रक्षक इंजेक्शन और दवा की कीमतों में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, वहीं सर्जिकल सामान में नजर डाले तो 500 से 600 रुपए का सामान 10 हजार रुपए में मिल रहा है. कई बार इन सब की शिकायत की जा चुकी है, लेकिन उसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में जमकर लोग गड़बड़ी कर रहे हैं, इसकी मार आम आदमी पर पड़ रही है.
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रेमडेसिविर और टोसीलीजुमेब इंजेक्शन को सरकार ने कंट्रोल में लिया
राजस्थान में प्रशासन ने रेमडेसिविर और टोसीलीजुमेब इंजेक्शन को अपने कंट्रोल में ले लिया है. ऐसे में प्रत्येक जिले में दो समितियां बनाई गई है. एक समिति में 4 डॉक्टर हैं. वहीं दूसरी समिति में जिला कलेक्टर, सीएमएचओ और पीएमओ है.
मरीज के परिजनों को फॉर्म भरकर आवेदन करना होता है. उसके साथ मरीज के इलाज की पर्ची मरीज का आधार कार्ड और हॉस्पिटल का अथॉरिटी लेटर लगाना पड़ता है. उसके बाद समिति यह फैसला लेती है कि किस मरीज को इंजेक्शन की आवश्यकता है. उस हिसाब से मरीज को इंजेक्शन दिए जाते हैं. ऐसे में इंजेक्शन की कालाबाजारी पर लगाम लग चुकी है सरकारी रेट पर मरीज को इंजेक्शन दिया जाता है.