अलवर. हाईवे वे और नई सड़कों पर सरकार टोल वसूलती है. लेकिन अलवर प्रदेश का एक जिला है जहां लोगों को टूटी हुई, क्षतिग्रस्त गड्ढों वाली सड़क पर चलने के लिए टोल देना पड़ रहा (Grim Situation Of alwar Roads) है.हम बात कर रहे है अलवर से भरतपुर स्टेट हाईवे नम्बर 14 की.
इस हाईवे पर टोल रोड पर निजी वाहनों के अलावा अन्य सभी कॉमर्शियल वाहनों से चार जगहों पर टोल शुल्क की वसूली होने के बावजूद पूरी सडक़ टूटी पड़ी है. कुछ जगह पर तो पूरी रोड उधड़ चुकी है. इसके बावजूद टोल शुल्क की वसूली बराबर हो रही है लेकिन, सरकार व प्रशासन का सड़क को दुरुस्त कराने पर ध्यान नहीं है. वो भी तब जब टोल शुल्क भी बढ़ाया जा चुका है.
अलवर में सड़कों की हालत बदतर हो गई (Grim Situation Of alwar Roads) है. बावजूद इसके लोगों से टोल वसूला जा रहा है. 6 साल पहले 131 करोड रुपये की लागत से अलवर से नगर तक का सड़क निर्माण कार्य हुआ लेकिन अब यह मार्ग पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो चुका है. अलवर नगर सड़क मार्ग पर यातायात दबाव रहता है. इस मार्ग से गोवर्धन, मथुरा, भरतपुर, नगर, डीग, खेड़ली सहित आगरा जाने वाले लोग भी गुजरते हैं. हालात इस कदर खराब हैं कि 2 घंटे के सफर की जगह लोगों को सफर में 5 से 6 घंटे लग जाते हैं.
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टोल प्लाजा की मार
इस सड़क मार्ग पर बगड़ तिराहे से भरतपुर के बीच में चार टोल प्लाजा हैं. सब पर अलग-अलग शुल्क लगता है. बगड़ का तिराहा के आगे से ही सड़क पूरी तरह से टूटी हुई है. बड़ौदामेव से मानोता तक पूरी रोड उधड़ी पड़ी है. फिर सहजपुर व खकावली तक जगह-जगह सडक़ में गड्ढे हो चुके हैं. हालात ये हैं कि चौपहिया वाहन गड्ढ़ों को बचाते हुए निकलते हैं तो दुपहिया वाहनों को जगह नहीं मिलती. मजबूरी में वाहन को सड़क के नीचे ले जाना पड़ता है. ऐसे में हादसों से भी इनकार नहीं किया जा सकता. इस सड़क मार्ग पर अलवर से नगर तक तीन टोल पड़ते हैं. तीनों ही टोल पर वाहन चालकों को अलग अलग टोल चुकाना पड़ता है.
ये इलाके की बात है
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने कहा कि यह सड़क मार्ग उनके कार्यक्षेत्र में नहीं है जबकि, आरएसआरडीसी ने कहा किस सड़क मार्ग की मरम्मत के लिए टेंडर हो चुके हैं. इस सड़क मार्ग पर टोल वसूला जाता है. बदहाल सड़क को ठीक कराने की जिम्मेदारी प्रशासन व संचालन कंपनी की है, लेकिन सभी सरकारी विभाग एक दूसरे के ऊपर मामला टालने में लगे हुए हैं. इसका नुकसान आम आदमी को उठाना पड़ रहा है. सड़क मार्ग पर गड्ढों की वजह से वाहन चालकों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है. हादसे रूटीन का हिस्सा सा बन गए हैं लेकिन प्रशासन है कि एक्शन में आता ही नहीं है.