अलवर.दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे अलवर के लिए खुशहाली लेकर आया है. अब दिल्ली से मुंबई तक का सफर आने वाले समय में महज 12 से 13 घंटे में पूरा किया जा सकेगा. एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा होने के बाद अलवर के लोगों को काफी राहत मिलेगी. वहीं दिल्ली से अलवर तक के लिए एक्सप्रेस वे जून माह में शुरू हो सकता है. दिल्ली से मुंबई की दूरी सड़क मार्ग से करीब 1,510 किलोमीटर है, लेकिन एक्सप्रेस-वे बनने के बाद दोनों शहरों की दूरी 1,350 किलोमीटर रह जाएगी. आठ-लेन वाला इस एक्सप्रेस-वे को भारतमाला परियोजना के पहले चरण के हिस्से के रूप में बनाया जा रहा है. एक्सप्रेस वे को देश के सभी बड़े हाईवे और एक्सप्रेस से जोड़ने के लिए लिंक रोड नए हाईवे बनाने जा रहे हैं.
पंजाब, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड को इस हाईवे से जोड़ने के लिए पनियाला मोड़ से अलवर के बड़ौदा तक नए हाईवे बनाने का काम चल रहा है. एनएचएआई भी डीएनडी फ़्लाईवे-दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे लिंक रोड विकसित कर रहा है, जो दिल्ली के डीएनडी फ़्लाईवे और सोहना में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के बीच एक ग्रीनफ़ील्ड के रूप में लिंक किया जाएगा. इसी तरह से उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के जेवर (YEIDA सिटी) में आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए एक्सप्रेस-वे की एक शाखा को सीधे जोड़ने के लिए काम चल रहा है. दूसरा लिंक हरियाणा के फरीदाबाद के बल्लभगढ़ से शुरू करने का प्रस्ताव है.
एक्सेस कंट्रोल है दिल्ली-मुंबई हाइवे: एक्सप्रेस-वे का प्राथमिक खंड जो अलीपुर में गुड़गांव-सोहना राजमार्ग में विलय होगा, दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे (एनएच-48) और गुड़गांव-सोहना हाईवे का निर्माणाधीन सोहना एलिवेटेड रोड (राजीव चौक-सोहना कॉरिडोर) के माध्यम से दिल्ली में धौला कुआं के साथ आसान कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. एनएचएआई हरियाणा में सोहना, पलवल, मानेसर और नूह ज़िलों के क्रॉस-सेक्शन पर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के साथ वेस्टर्न पेरिफ़ेरल एक्सप्रेस-वे (कुंडली-मानेसर-पलवल या केएमपी एक्सप्रेसवे) को जोड़ने के लिए एक इंटरचेंज विकसित करने की प्रक्रिया में है. इसके अलावा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, ताज एक्सप्रेस-वे, जीटी रोड सहित अन्य सड़क मार्गों और देश के प्रमुख एक्सप्रेस-वे हाईवे को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे से जोड़ने का भी काम तेजी से चल रहा है. दिल्ली-मुंबई हाइवे एक्सेस कंट्रोल है. इसका मतलब है कि हाइवे की बीच में एक तरफ से दूसरी तरफ कोई भी आ जा नहीं सकेगा.
फ्यूल की होगी बचत:एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद फ्यूल की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी आएगी. CO2 उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो कि चार करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. ये पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होगा. हाइवे पर हर 500 मीटर पर रेन वॉटर हार्वेसटिंग सिस्टम होगा. साथ ही एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ 40 लाख पेड़ लगाए जाने की योजना है.
ग्रीन ओवर पास की सुविधा:ये एशिया का पहला ऐसा हाइवे है जिसके निर्माण में वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास की सुविधा दी जाएगी. इसके अंतर्गत आठ लेन की दो सुरंग बनाई जाएगी. जिनमें से एक सुरंग पहले राजस्थान के मुकुंदरा सेंक्चुरी के नीचे और दूसरी सुरंग महाराष्ट्र के माथेरान ईको सेंसिटिव जोन में बनाई जाएगी. इसकी लंबाई भी चार किलोमीटर तय की गई है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ये एक्सप्रेस-वे मुकंदरा और रणथंभौर से होकर भी गुजरेगा. ऐसे में वन्यजीवों को प्रकार की परेशानी नहीं हो इसके लिए साइलेंट कॉरिडोर लाने की भी योजना है.