अलवर. राजस्थान का अलवर जिला डार्क जोन में आ चुका है. जिले में पानी की लगातार कमी हो रही है. अलवर जिले में प्रतिदिन 150 से 200 एमएलडी पानी की आवश्यकता होती है, जबकि जलदाय विभाग 80 एमएलडी पानी सप्लाई कर पाता है. चंबल से अलवर पानी लाने के कई सरकारों ने दावे किए, लेकिन आज तक चंबल का पानी अलवर नहीं आ पाया.
केंद्र सरकार के पास अटकी है ईस्टर्न कैनाल योजना वसुंधरा सरकार ने अलवर सहित प्रदेश के 13 जिलों में ईस्टर्न कैनाल परियोजना के माध्यम से पानी लाने की योजना तैयार की थी. इसमें अलवर, भरतपुर, जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर और करौली सहित अन्य जिले शामिल थी. इस योजना के तहत 33 हजार करोड़ की डीपीआर तैयार कर गहलोत सरकार ने केंद्र सरकार को भेजी है, लेकिन अभी तक फाइल केंद्र सरकार के पास अटकी हुई है.
सरकार ने 2021 तक पूरा कर लेने का किया था दावा
इस योजना के माध्यम से झालावाड़, बारां और कोटा जिले की नदियों को जोड़ते हुए धौलपुर तक पानी लाया जाएगा. उसके बाद अन्य जिलों में पानी सप्लाई की योजना है. सरकार का दावा था कि इसे 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा और जनता को पानी मिलेगा, लेकिन अब तक यह योजना फाइलों तक सिमटी हुई है.
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ईस्टर्न कैनाल योजना के माध्यम से पानी लाने का दावा करने वाली सरकारी भी पस्त हो चुकी है. सरकारों के पास केवल दावे बचे हैं. ऐसे में लगातार पानी के हालात खराब हो रहे हैं. अलवर में लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है. जिले के 5 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है. इसके बाद भी सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
पानी के लिए होता रहता है प्रदर्शन
पानी के लिए पूरे जिले में साल भर प्रदर्शन होते हैं और मटके फूटते हैं. नेता और प्रशासनिक अधिकारी केवल खानापूर्ति करने में लगे हुए हैं. ईस्टर्न कैनाल योजना के माध्यम से दक्षिणी पूर्वी राजस्थान में बारिश के समय बाढ़ की वजह बनने वाली कालीसिंध पार्वती इमेज और चाकन नदियों का बारिश के समय ओवर फ्लो पानी कैनाल के जरिए लाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट से चंबल नदी को जोड़ा जाएगा. चंबल नदी से निकलने वाले पानी को कैनाल के माध्यम से सभी जिलों में बनने वाले स्टोरेज बांधों में रखा जाएगा. उसके बाद साल भर उस पानी को सप्लाई करने की प्रक्रिया रहेगी.