अलवर.जिले सहित देशभर में कोरोना का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में आने वाला समय खासा परेशानियों से भरा होने वाला है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार की ओर से बच्चों और बुजुर्गों के लिए खास सावधान रहने की हिदायत दी गई है. लेकिन लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को ही हो रही है. उनका स्कूल, खेलना, पार्क में घूमना सभी कार्य बंद हो गए हैं. ऐसे में बच्चे घर में बंद होने के साथ परेशान हो गए हैं. इसके चलते अभिभावकों को खासी परेशानियां उठानी पड़ रही है.
डॉ. मुकेश गुप्ता से खास बातचीत बच्चों के अभिभावकों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए ईटीवी भारत ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश गुप्ता से खास बातचीत की. इस पर उन्होंने कहा कि बच्चे मास्क नहीं पहनते हैं, पौष्टिक आहार नहीं खाते हैं. ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों को आंवले और नींबू का सेवन ज्यादा से ज्यादा कराए. इसके अलावा इस समय आने वाले फल जैसे आम, तरबूज, खरबूजा, अंगूर सहित सभी फलों के साथ ज्यादा मात्रा में पानी पिलाना चाहिए. इसके साथ ही सभी फलों की मात्रा सीमित होनी चाहिए.
पढ़ें- अलवर में फिलहाल मास्क बनाकर जीवन यापन कर रहे दर्जी, लॉकडाउन के चलते ठप हुआ कामकाज
डॉ. मुकेश गुप्ता ने कहा कि इसके लिए बचाव ही एकमात्र उपचार है, जिस तरह से बड़े लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है. इसी तरह से बच्चों के साथ भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए. बच्चों की आउटिंग पर पूरी तरीके से रोक लगा देनी चाहिए. अगर बच्चे घर से बाहर जाते भी हैं तो फिर किसी चीज को टच ना करें. बाहर से घर लौटते समय हाथों को गर्म पानी से धोकर सैनिटाइज करें. इसके साथ ही भीड़-भाड़ वाली जगह से बच्चों को दूर रखें. साथ ही बच्चों को तरल पदार्थ ज्यादा खिलाएं.
डॉ. गुप्ता ने कहा कि बच्चों को उनके मन मुताबिक कार्टून कैरेक्टर के हिसाब से कलर फुल मार्क्स बनाकर दें, जिसको बच्चे पहन सके. साथ ही बच्चों को बूस्टर करने वाली प्राकृतिक चीजें देनी चाहिए, जिससे उनकी इम्यूनिटी पावर बढ़े और बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत हो. उन्होंने बताया कि बच्चों को आंवला की कैंडी बना कर दें, इसके अलावा उन्हें छाछ बनाकर पिलाएं, यह सब चीजें बच्चों के शरीर के लिए फायदेमंद होती हैं.
पढ़ें- अलवर में 5 नए कोरोना पॉजिटिव मामले, सभी प्रवासी श्रमिक
डॉ. गुप्ता ने बताया कि बच्चे को किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह ले. कोई समस्या होने पर बच्चों के बारे में बताएं, जरूरी हो तो चिकित्सक से समय लेकर बच्चे को दिखाने ले जाए, इससे वे भीड़-भाड़ से बच सकेंगे. ऐसे में छोटी-छोटी सावधानी बरतने से व्यक्ति खुद और अपने बच्चों दोनों को सुरक्षित रख सकता है. क्योंकि, इस बीमारी का संक्रमण लंबे समय तक रह सकता है. ऐसी परिस्थिति में सावधानी ही एकमात्र बचाव है.