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EXCLUSIVE: ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर कोरोना का अटैक, लॉकडाउन में लगभग 16,000 करोड़ का घाटा

लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है. साथ ही सभी तरह के व्यापार भी बंद हैं. ऐसे में देश की इकोनॉमी में अहम भूमिका निभाने वाले ऑटोमोबाइल क्षेत्र से जुड़े हुए लोग भी खासे परेशान हैं. इस क्षेत्र में अब तक लगभग 16,000 करोड़ का घाटा हो चुका है.

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निकुंज सांघी से खास बातचीत

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Published : May 10, 2020, 11:35 AM IST

Updated : May 10, 2020, 1:24 PM IST

अलवर. कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक संकट गहराने लगा है. इसका प्रभाव कई क्षेत्रों पर पड़ता हुआ नजर आने लगा है. अकेले राजस्थान में सैकड़ों ऑटोमोबाइल डीलर हैं. हर दिन यह डीलर 300 करोड़ रुपए का कारोबार करते हैं. जो पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है.

निकुंज सांघी से खास बातचीत (पार्ट-1)

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में लॉकाडाउन की वजह से क्या असर पड़ा है. यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने ऑटोमोबाइल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के राष्ट्रीय सचिव निकुंज सांघी से खास बातचीत की.

निकुंज सांघी से खास बातचीत (पार्ट-2)

सांघी ने बताया कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज तीन श्रेणियों में बंटा हुआ है. पहले नंबर पर आते हैं, ऑटोमोबाइल निर्माता. दूसरे जो स्पेयर पार्ट्स अन्य सामान बनाते हैं और तीसरे ऑटोमोबाइल डीलर हैं. वहीं देशभर में इन तीनों क्षेत्र से लाखों परिवार जुड़े हुए हैं. लॉकडाउन की वजह से सभी को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है.

ऑटोमोबाइल निर्माताओं की टूटी कमर

व्यापारी अपने दम पर भर रहे टैक्स, पर कब तक?

निकुंज सांघी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान कामकाज पूरी तरीके से ठप है. लेकिन कई ऐसे खर्च है जो व्यापारी अपने पैसे से निर्वाह कर रहे हैं. जैसे कारोबारियों को सरकार को टैक्स देना, बिजली का बिल, जगह का किराया, लोन की किस्त सहित कई ऐसे खर्चे हैं, जो हर महीने एक व्यापारी को ही चुकाने पड़ते हैं.

ऑटोमोबाइल कंपनियों को बड़ा घाटा

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कर्ज लेकर दे रहे कर्मचारियों को वेतन

सांघी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान भी कर्मचारियों को वेतन दिया जा रहा है, क्योंकि कर्मचारी डीलर और व्यापारी पर निर्भर रहता है. उसके पूरे परिवार का खर्च वेतन से ही चलता है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान वेतन नहीं मिलने पर कर्मचारियों को भी परेशानी हो सकती है. सांघी ने कहा कि व्यापारी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए किसी तरह से काम चला रहा है. उसके लिए अगर किसी व्यापारी को कर्ज भी लेना पड़ रहा है. लेकिन यह हालात कब तक रहेंगे.

ऑटो पार्ट्स निर्माताओं का भी धंधा पड़ा मंद

उन्होंने कहा कि सरकार से इस संबंध में बातचीत हुई है. कर्मचारियों के वेतन से हर माह ईएसआईसी का पैसा काटा जाता है. केंद्र सरकार के पास ईएसआईसी के नाम पर जमा होने वाली राशि अधिक है. सरकार से ईएसआईसी की राशि से कर्मचारियों की मदद करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा ऑटोमोबाइल क्षेत्र एक चैन के रूप में काम करता है. यह चेन आपस में जुड़ी हुई है और लॉकडाउन की वजह से पूरी इंडस्ट्री को बड़ा घाटा हो रहा है.

डीलर इस व्यापार की मुख्य कड़ियां होते हैं

कई रेड जोन में भी खुले हैं शोरूम

सांघी के अनुसार देश के कई ऐसे ग्रीन जोन हैं. जहां पर ऑटोमोबाइल के शोरूम को खोलने की अनुमति नहीं मिली है. जबकि कुछ रेड जोन में भी शोरूम खुल रहे हैं. यह प्रशासन पर निर्भर करता है. लॉकडाउन के दौरान जिले में राज्य की सीमा सील है. एक एजेंसी पर आसपास के क्षेत्र में जिलों का भार भी रहता है. ऐसे में सीमाएं सील होने के कारण शोरूम खुलने के बाद भी काम काज ठप है.

इन परिवारों का खर्च उठा रहा ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री

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सांघी ने कहा कि इन हालातों को देखते हुए देश में आगामी कुछ समय तक लॉकडाउन का असर देखने को मिलेगा. इसलिए लॉकडाउन खुलना जरूरी है. लेकिन उसके साथ ही होने वाली जांच में बढ़ोतरी होनी चाहिए. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग हो सके. उन्होंने कहा कि इस दौर में सब को एक साथ होकर कोरोना से लड़ने की आवश्यकता है.

ऑटोमोबाइल से जुड़ें परिवारों की बुरी स्थिति
Last Updated : May 10, 2020, 1:24 PM IST

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