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अलवर में सरकारी विभाग पहुंचा रहे हैं बिजली विभाग को करोड़ों का नुकसान, 87 करोड़ 7 लाख रुपए है बकाया - अलवर सरकारी विभाग

अलवर के बिजली निगम को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. जिलेभर में 87 करोड़ से ज्यादा का बिजली का बिल बकाया चल रहा है. सबसे ज्यादा बकाया सरपंचों पर चल रहा है.

अलवर बिजली विभाग, Alwar Electricity Department
बिजली विभाग को हो रहा करोड़ो का नुकसान

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Published : Aug 8, 2021, 4:38 PM IST

अलवर.सरकारी विभाग अलवर में बिजली निगम को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिलेभर में 87 करोड़ से ज्यादा का बिजली का बिल बकाया चल रहा है. इसमें स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, बीएसएनल, स्कूल, पीएचइडी, जिला प्रशासन और ग्राम समितियां शामिल हैं. कई बार नोटिस देने के बाद भी सरकारी विभाग बिजली का बिल नहीं चुका रहे हैं. सबसे ज्यादा बकाया सरपंचों पर चल रहा है. अलवर जिले में 41 करोड़ से ज्यादा का सरपंचों पर बिजली का बिल बकाया चल रहा है.

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अलवर जिले में बिजली विभाग का बड़ा तंत्र है. बिजली के करीब 7 लाख 15 हजार उपभोक्ता है. इसमें पांच लाख घरेलू उपभोक्ता है. सवा लाख कृषि कनेक्शन है. 48 हजार कमर्शियल कनेक्शन है और 14 हजार औद्योगिक कनेक्शन है. एक दिन में अलवर के लोग करोड़ों रुपए की बिजली काम में लेते हैं, लेकिन कुछ सरकारी विभाग बिजली निगम को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहे हैं.

87 करोड़ 7 लाख रुपए का बकाया है बिल

विद्युत निगम के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में कुल 87 करोड़ 7 लाख रुपए का बिजली बिल सरकारी विभागों पर बकाया चल रहा है. इसमें सरपंचों पर 41 करोड़ 52 लाख, जेजेवाई स्कीम के तहत ट्यूबवेल और अन्य कार्य के 3 करोड़ 47 लाख, पीएचडी पर 14 करोड़ 8 लाख रुपए, जिला प्रशासन पर 36 करोड़ 53 लाख, सरकारी स्कूलों पर 31 करोड़ 81 लाख, स्वास्थ्य विभाग के हॉस्पिटल पर 27 करोड़ 14 लाख रुपए और पुलिस विभाग पर 66 करोड़ 43 लाख का बिजली बिल बकाया चल रहा है.

इसी तरह से बीएसएनल पर 13 करोड़ 9 लाख रुपए और अन्य पर 41 करोड़ से ज्यादा के बिजली के बिल बकाया चल रहे हैं. जिसके चलते अलवर में बिजली विभाग करोड़ों का घाटा झेल रहा है. हालांकि विद्युत निगम के अधिकारियों ने कहा कि लगातार सरकारी विभागों को बिजली के बिल जमा करने के लिए रिमाइंडर और नोटिस दिए जाते हैं.

कुछ समय पहले स्वास्थ्य विभाग और पुलिस विभाग की ओर से कुछ पैसा जमा कराया गया था, लेकिन बिजली के बिलों की तुलना में राशि में काफी कमी थी. सबसे ज्यादा बकाया ग्राम पंचायतों पर चल रहा है.

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सरकारी विभाग समय पर बिजली का बिल जमा नहीं करते हैं. ऐसे में विद्युत निगम की तरफ से सरकारी कार्यालयों में प्रीपेड मीटर लगाए गए थे. इन मीटरों को मोबाइल फोन की तरह रिचार्ज किया जाता है. रिचार्ज समाप्त होने पर बिजली सप्लाई बंद हो जाती है, लेकिन बिजली निगम की यह योजना सफल नहीं हो पाई. जिसके चलते नए मीटर सरकारी कार्यालयों में नहीं लगाए गए.

सरकार के अपने ही विभाग विद्युत निगम को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिसके चलते विद्युत निगम घाटे में चल रहा है. हालांकि अलवर में विद्युत निगम को हर साल करोड़ों की आय होती है. एक दिन में अलवर के लोग करोड़ों की बिजली काम में लेते हैं. इसमें 90 प्रतिशत से ज्यादा उपभोक्ता समय पर बिजली का बिल जमा करते हैं.

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