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अलवर : कोरोना के साथ बढ़ रहा डेंगू सहित मौसमी बीमारियों का प्रकोप

अलवर में एक तरफ कोरोना बेकाबू हो रहा है, दूसरी तरफ डेंगू का खतरा भी बढ़ने लगा है. 29 सितंबर तक डेंगू के 29 मरीज सामने आ चुके हैं. जनवरी से अब तक जिले में डेंगू के 44 मरीज मिल चुके हैं. कोरोना के साथ ही मौसमी बीमारियां स्वास्थ्य विभाग के लिए परेशानी बनती जा रही हैं.

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Published : Sep 30, 2020, 12:31 PM IST

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अलवर में डेंगू के मरीज

अलवर.राजस्थान में सबसे ज्यादा डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया के मरीज अलवर में मिलते हैं. इस साल कोरोना ने जिले के हालात खराब कर रखे हैं. कोरोना संक्रमितों की संख्या 14 हजार के पार हो चुकी है. ऐसे में डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया स्वास्थ्य विभाग के लोगों की परेशानी बनता जा रहा है.

अलवर में मौसमी बीमारियों का प्रकोप

सभी मौसमी बीमारियों के लक्षण और उनके असर एक जैसे होते हैं, ऐसे में लोग सही इलाज नहीं ले पाते हैं. जिससे उनकी जान को खतरा बना रहता है. जनवरी से अब तक अलवर में 44 मरीज डेंगू के मरीज मिल चुके हैं. इसमें 29 जयपुर के एसएमएस अस्पताल और 15 राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के सेंट्रल लैब की जांच में चयनित हुए हैं.

चार दिनों में डेंगू के 15 रोगी एमआईए के गुंदपुर गांव के हैं. प्रदेश में डेंगू मरीज की संख्या के मामले में जयपुर, उदयपुर के बाद अलवर तीसरे स्थान पर है. जयपुर में इस साल अब तक 187 और उदयपुर में 75 डेंगू के मरीज मिले हैं. अलवर में कोरोना के कारण समय पर ना तो इलाज हो रहा हैं ना ही जांच हो पा रही है. जिसके चलते मरीज खासे परेशान हैं. जब एलाइजा जांच शुरू हुई तो एमआईए के गुंदपुर गांव में 4 दिन पहले डेंगू के 17 मरीज मिले.

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इस महीने थानागाजी, कोटकासिम, राजगढ़, किशनगढ़ बास और रामगढ़ क्षेत्र के गांव में भी डेंगू के मरीज मिले हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि कोई भी बुखार आने पर अपनी मर्जी से दवा नहीं लें, तबीयत खराब होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें, क्योंकि मौसमी बीमारी के इस दौर में हर बुखार कोरोना और वायरल नहीं हो सकता.

मेला नहीं भरने से मलेरिया का प्रभाव कम...

मलेरिया के हाई रिस्क क्षेत्र मालाखेड़ा ब्लॉक में इस बार कोरोना के कारण भरतरी जी का मेला नहीं भरने से मलेरिया का प्रभाव भी काफी कम रहा है. बारिश के दिनों में मेला क्षेत्र में फेंके जाने वाले डिस्पोजल में भरने वाले पानी में लारवा पनपने और मेले में कई राज्यों के लोगों के आने जाने से मलेरिया का संकट बना रहता है.

इस बार ना तो मेला भरा और ना ही लोगों जमा हुए. इस कारण मलेरिया के मात्र 13 मरीज मिले. इधर जिले में चिकनगुनिया के मरीज बढ़ने लगे हैं. इस महीने कोटकासिम, थानागाजी, तिजारा और बहरोड़ में चिकनगुनिया के 5 मरीज सामने आए हैं. इस साल अब तक 25 मरीज चिकनगुनिया से संक्रमित आ चुके हैं.

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क्या रखें सावधानी...

बच्चों को मच्छर के काटने से बचाने के लिए उन्हें पूरी बांह वाले कपड़े पहना कर रखें, मच्छरदानी का उपयोग करें, पशुओं की खेलियों और कूलर का पानी सप्ताह में एक बार बदले, घर में टंकियों और बर्तनों को ढक कर रखें. घर के आसपास पुराने टायर, नारियल खोको और डिस्पोजल में भरा पानी खाली करें. घर के आसपास नदियों, गड्ढों में भरे पानी में केरोसिन का तेल डाले.

क्या होती है परेशानी...

बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह पर खून की जांच कराएं. वायरल में अचानक तेज बुखार आना सिर में आगे की मांसपेशियों में दर्द होना, स्वाद का पता ना लगना, छाती के ऊपर दाने होना, चक्कर आना उल्टी होना सहित कई समस्याएं होने लगती है.

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