अलवर. जिले के थानागाजी थाने में 2 मई 2019 को एक मामला दर्ज हुआ था. जिसमें दलित दंपत्ति को बंधक बनाकर पति के सामने ही युवती से गैंगरेप की घटना को 5 लोगों द्वारा अंजाम दिया गया. साथ ही इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया. इस मामले में पुलिस के द्वारा पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया. मामले में चालान पेश किया गया.
जबकि एक आरोपी के खिलाफ वीडियो वायरल करने का मामला दर्ज किया गया. पुलिस द्वारा मामला देरी से दर्ज किया गया था. जिसमें पुलिस थाने के एसएचओ समेत पूरा स्टाफ डीएसपी एसपी और एसपी को राज्य सरकार ने हटा दिया था. इस मामले पर जमकर राजनीति हुई. तो वहीं कांग्रेस के आलाकमान राहुल गांधी प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित तमाम आला अधिकारी अलवर के थानागाजी पहुंचे थे. पीड़िता से मुलाकात की इसके बाद पीड़िता को सरकारी नौकरी में परिवार को आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई गई.
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इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई. वहीं सरकार की तरफ से मामले की गंभीरता को देखते हुए अलवर में दो एसपी तैनात किए गए. इस मामले के अपन लोक अभियोजन कुलदीप जैन ने बताया कि कोरोना काल की वजह से अंतिम बहस पर सुनवाई पिछले सप्ताह से शुरू की गई है. शुक्रवार को साढ़े पांच माह बाद इस मामले में अंतिम बहस पर सुनवाई शुरू हो गई थी. इस मामले में अंतिम बहस पूरी होने के बाद 24 सितंबर को फैसले के लिए दिन निर्धारित किया गया है.
सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रखा गया. वहीं इस घटना के बाद सरकार ने महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं के कानून में बदलाव किया. इस घटना के बाद सभी तरह के मामलों को तुरंत दर्ज करने के निर्देश दिए गए. डीएसपी स्तर के अधिकारी को जांच की जिम्मेदारी दी गई. इसके अलावा एसपी कार्यालय में भी एफआईआर दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई. वहीं पूरे प्रदेश में कई बड़े बदलाव किए गए. उसके बाद भी अलवर में ताबड़तोड़ घटनाओं का सिलसिला जारी रहा. तो वहीं सभी को इस फैसले का इंतजार है. लगातार यह मुद्दा कई दिनों तक अलवर, जयपुर और प्रदेश में छाया रहा. हालांकि इस मुद्दे पर पुलिस और सरकार पर भी कई सवाल उठे. देश के प्रमुख राजनीतिक दल के नेता भी राजनीति करने के लिए अलवर पहुंचे थे.