अलवर. शहर के 200 फीट रोड स्थित मंगलम में रहने वाले राहुल उम्र 35 साल कोरोना संक्रमित हुए थे. बीते कई दिनों से राहुल का अलवर के सानिया अस्पताल में इलाज चल रहा था. हालत गंभीर होने पर अस्पताल प्रशासन ने बीती रात राहुल को जयपुर के लिए रेफर किया. रास्ते में दौसा के पास ऑक्सीजन खत्म हो गई. परिजनों के शोर मचाने पर ड्राइवर और नर्सिंग कर्मी एंबुलेंस दौसा जिला अस्पताल लेकर गए. लेकिन वहां भी समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण राहुल ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम व अधिकारियों की लापरवाही के चलते हत्या का आरोप लगाया है.
राहुल मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था. कुछ दिन पहले राहुल कोरोना संक्रमित हुआ. राहुल की एक छोटी बच्ची है. सांस लेने में परेशानी होने पर राहुल को एक सानिया अस्पताल में भर्ती किया गया. लगातार वहां उसका इलाज चल रहा था. कुछ दिनों बाद राहुल की हालत खराब होने लगी. अस्पताल प्रशासन ने पहले तो वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं होने की बात कही. लेकिन बाद में परिजनों द्वारा पैसे की व्यवस्था करने की बात कहने पर अस्पताल प्रशासन ने वेंटिलेटर पर राहुल को भर्ती किया. तीन से 4 दिन तक राहुल का वेंटिलेटर पर इलाज चला. शुक्रवार रात अस्पताल प्रशासन ने कहा कि राहुल की हालत गंभीर है. उसे हायर सेंटर के लिए रेफर किया जाएगा. सानिया अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी. ऐसे में परिजनों ने अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल से एंबुलेंस की व्यवस्था की शहर विधायक संजय शर्मा द्वारा मल्टी स्पेशलिटी एंबुलेंस अस्पताल को दी थी. उसी एंबुलेंस में राहुल को जयपुर के लिए रेफर किया गया. सामान्य अस्पताल की तरफ से एक नर्सिंग स्टाफ भेजा गया.
परिजनों ने बताया कि 19 रुपए 50 पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से उन्होंने एंबुलेंस को बुक किया. तय गाइडलाइन के अनुसार एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर सभी जरूरी दवाइयां इंजेक्शन सहित सभी सुविधाएं होनी चाहिए. रात 11 बजकर 15 पर सानिया हॉस्पिटल से एंबुलेंस राहुल को लेकर जयपुर के लिए रवाना हुई राहुल के पास उसके परिजन बैठे हुए थे. जबकि नर्सिंग कर्मी ड्राइवर के पास केबिन में बैठा हुआ था. परिजनों ने कई बार नर्सिंग कर्मी को राहुल के पास बैठने के लिए कहा लेकिन वो नहीं माना.
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दौसा से 3 किलोमीटर पहले अचानक ऑक्सीजन समाप्त हो गई. वेंटिलेटर से बिप की आवाज आने लगी. कुछ देर बाद परिजनों ने शोर मचाते हुए ड्राइवर नर्सिंग कर्मी को इसकी जानकारी दी. इस पर नर्सिंग कर्मी ने कहा कि ऑक्सीजन समाप्त हो गया है. ड्राइवर तुरंत एंबुलेंस को दौसा के जिला अस्पताल में लेकर गया. रात के समय ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने राहुल को चेक किया. वहां मौजूद स्टाफ से तुरंत ऑक्सीजन लगाने के लिए कहां. लेकिन वहां मौजूद ज्यादातर सिलेंडर खाली थे. किसी में आधा किलो तो किसी में 1 किलो गैस बची हुई थी. कई बार परिजनों के विनती करने के बाद भी नर्सिंग स्टाफ ने सिलेंडर उपलब्ध नहीं कराया.