अलवर. प्रदेश के सिंहद्वार व प्रदेश की औद्योगिक राजधानी अलवर देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है. लेकिन अलवर में होने वाली घटनाएं देश दुनिया में अलवर को बदनाम करती रही हैं. यहां लगातार बढ़ते क्राइम के ग्राफ को रोकने के लिए पुलिस ने पूरे जिले को दो हिस्सों में बांटते हुए दो एसपी भी लगाए. पुलिसिंग के लिहाज से 2 जिले बनाए गए. लेकिन सरकार का यह प्रयास भी क्राइम को रोकने में बेअसर साबित हो रहा है.
हालांकि इस प्रयास में एक खामी यह भी है कि दो जिलों के अनुसार पुलिस फोर्स व संसाधन भी उपलब्ध नहीं कराए गए. जिसके चलते पुलिसिंग के बेहतर इंतजाम नहीं हैं. दूसरी तरफ दो एसपी तैनात होने के बाद भी ताबड़तोड़ घटनाओं का सिलसिला जारी है. बदमाश बेख़ौफ़ घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. अलवर में गौ तस्करी, मॉब लिंचिंग, रंगदारी, फायरिंग, लूटपाट जैसी घटनाएं आम हो गई हैं. आए दिन हत्या, दुष्कर्म व गैंग रेप जैसी घटनाएं होती हैं. जिसके चलते अलवर शर्मसार होता है.
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सीमावर्ती जिला होना भी एक कारण
अलवर उत्तर प्रदेश व हरियाणा से सटा हुआ है. सीमावर्ती जिला होने के कारण हरियाणा व उत्तर प्रदेश के बदमाश घटनाओं को अंजाम देकर आसानी से भाग जाते हैं. आए दिन होने वाली घटनाओं व बढ़ते हुए क्राइम के ग्राफ को देखते हुए साल 2019 में अशोक गहलोत सरकार ने बड़ा फैसला लिया. अलवर में दो एसपी तैनात किए गए. पुलिस के लिहाज से अलवर को दो जिलों में बांटा गया. अलवर प्रदेश का पहला ऐसा जिला बना जहां दो एसपी हैं. अलवर का बहरोड़, नीमराना, भिवाड़ी, तिजारा, शाहजहांपुर, कोटकासिम, किशनगढ़बास का क्षेत्र भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक के अधीन आता है. जबकि अलवर शहर, थानागाजी, बानसूर, मुंडावर, रामगढ़, राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ व रेणी अलवर पुलिस अधीक्षक क्षेत्र के अधीन आता है.
अकेले अलवर में 17 से 18 हजार एफआईआर
अकेले अलवर जिले में 17 से 18 हजार एफआईआर दर्ज होती थी. पुलिस के 2 जिले बनने के बाद इनमें कमी आने की उम्मीद थी. लेकिन क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. इस समय अलवर भिवाड़ी क्षेत्र में 23 से 24 हजार एफ आई आर दर्ज हो रही है. प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले अलवर जिले में आते हैं. भिवाड़ी क्षेत्र में क्राइम का पैटर्न भी बदल रहा है. अब गैंगवार भी होने लगा है. दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के नामी बदमाश जेल में बैठकर कारोबारी पर व्यापारियों से रंगदारी वसूल रहे हैं. आए दिन कारोबारी व उनके प्रतिष्ठानों पर फायरिंग की घटनाएं होती हैं. ऐसे में सरकार का प्रयास बेअसर साबित हो रहा है.
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प्रयास विफल होने के पीछे यह भी कारण
पुलिस के लिहाज से दो जिले बनाने के बाद भी अलवर में बढ़ते क्राइम के पीछे सरकार की लापरवाही भी दिखाई देती है. पुलिस जिले बनाने के नियमों की पालना नहीं की गई. पुलिसकर्मियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई. पुलिस कर्मियों के पद खाली पड़े हुए हैं. पुलिस के पास संसाधन नहीं हैं. बदमाशों का पीछा करने के लिए वाहन नहीं हैं. बदमाशों का मुकाबला करने के लिए आधुनिक हथियार नहीं है. जानकारी के मुताबिक ट्रेनिंग के लिए पुलिस लाइन व पुलिस के पास खुद का फायरिंग रेंज भी नहीं है. दोनों जिलों के पुलिसकर्मी फायरिंग के लिए आइटीबीपी अन्य केंद्रों में जाते हैं. इसके अलावा पुलिस के पास आधुनिक हथियार कैमरे साइबर क्राइम का मुकाबला करने के लिए लेटेस्ट मशीन व अन्य उपकरण नहीं हैं. जिसके चलते दो एसपी तैनात होने व दो जिले बनाने का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. भिवाड़ी पुलिस जिले में पुलिस कर्मियों के लिए पुलिस लाइन नहीं है.
अलवर के आंकड़ों पर एक नजर
2017 में 17 हजार 405 (एफआईआर)
2018 में 17 हजार 440 (एफआईआर)
2019 में 11 हजार 258 (एफआईआर)
2020 में 10 हजार 794 (एफआईआर)
2021 में 12 हजार 709 (एफआईआर)
2022 में अब तक 5 हजार 880 (एफआईआर)
भिवाड़ी के आंकड़ों पर एक नजर
2019 में 4 हजार 836 (एफआईआर)
2020 में 14 हजार 164 (एफआईआर)
2021 में 16 हजार 588 (एफआईआर)
2022 में 7 हजार 165 (एफआईआर)
सीमावर्ती विवादों में मिली राहतः पुलिस अधिकारियों की मानें तो पुलिस के लिहाज से दो जिले बनने से सीमावर्ती विवाद समाप्त हुए हैं. क्योंकि हरियाणा के जिलों में आईजी बैठते हैं. ऐसे में इंटर स्टेट कोऑर्डिनेशन में पहले दिक्कत आती थी. हरियाणा के जिलों के पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग व समन्वय नहीं हो पाता था. लेकिन अब भिवाड़ी में पुलिस अधीक्षक के बैठने से सीमावर्ती क्षेत्र में मॉनिटरिंग बेहतर हो पाई है. दो राज्यों की पुलिस मिलकर चेकिंग, बदमाशों को पकड़ने सहित अन्य काम बेहतर तरीके से कर रही है.
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अब समय पर पहुंचते हैं अधिकारीः भौगोलिक दृष्टि से अलवर जिला बड़ा है. 80 से 90 किलोमीटर दूर तक अलवर जिले की सीमाएं लगती हैं. अलवर शहर मुख्यालय से बहरोड 85 किलोमीटर, भिवाड़ी 90 किलोमीटर है. इन एरिया में घटना व दुर्घटना होने पर समय पर पुलिस अधिकारी नहीं पहुंच पाते थे. अधिकारियों को पहुंचने में समय लगता था. वहीं जांच पड़ताल भी प्रभावित होती थी. लेकिन अब तुरंत पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचते हैं. जिले में दो एसपी तैनात होने से मॉनिटरिंग व्यवस्था बेहतर हुई है. पहले डिप्टी एसपी, एएसपी के पद कम थे. अब पद बढ़ाए गए हैं. साथ ही चौकियों को थाने में क्रमोन्नत किया गया है. इससे मॉनिटरिंग व्यवस्था बेहतर हुई है.
पुलिस फोर्स पर एक नजरःअलवर जिले में पहले 3000 पुलिसकर्मी थे. पुलिस के लिहाज से 2 जिले बनाए गए तो अलवर के पुलिसकर्मियों को दो हिस्सों में बांट दिया गया. अलवर पुलिस जिले में इस समय करीब 1700 पुलिसकर्मी है. जबकि भिवाड़ी पुलिस जिले में कुल 1437 पुलिस कर्मियों के पद हैं. इनमें से 1291 पदों पर पुलिसकर्मी तैनात हैं व 226 पद रिक्त पड़े हुए हैं. इसी तरह से अलवर जिले में भी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के पद खाली हैं. जिसके चलते पुलिस का कामकाज प्रभावित होता है. दो जिले बनाने के बाद अतिरिक्त पुलिस फोर्स व संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए.