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Special : कलाकारों पर कोरोना की मार, नहीं छेड़ पा रहे सुरों के 'तार' - Alwar news

कहते हैं संगीत हर मर्ज की दवा है. संगीत बीमार व्यक्ति को न केवल सुकून देता है बल्कि टेंशन भी दूर करता है, लेकिन कोरोना काल में स्कूल और म्यूजिक क्लासेज बंद होने के कारण न तो लोग संगीत सीख पा रहे हैं और न ही संगीत शिक्षक सिखा पा रहे हैं. वहीं, सभी आयोजनों पर रोक के कारण कलाकारों के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. पढ़ें पूरी खबर...

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कलाकारों पर कोरोना की मार

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Published : Sep 8, 2020, 12:11 PM IST

अलवर.देश में कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सरकार की तरफ से लॉकडाउन लगाया गया. लॉकडाउन खुलने के बाद धीरे-धीरे आम जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है. लोगों के काम-धंधे शुरू होने लगे हैं, लेकिन कुछ खास वर्ग को अभी भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. यहां तक कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. हम बात कर रहे हैं संगीत से जुड़े उन कलाकारों की जो कार्यक्रमों में गा-बजाकर और स्कूल व कोचिंगों में युवा और बच्चों को संगीत सिखाया करते थे. शिक्षण संस्थानों के साथ संगीत के सभी निजी और सरकारी इंस्टीट्यूट भी बंद है. कहीं कोई कार्यक्रम भी नहीं हो रहें हैं, जिससे इनके सामने समस्या खड़ी हो गई है.

कलाकारों पर कोरोना की मार...

अलवर में हजारों की संख्या में संगीत शिक्षक हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे हैं, जो विभिन्न बैंड, आर्केस्ट्रा ग्रुप, जागरण, कीर्तन धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वाद्य यंत्र बजाकर अपना जीवन यापन करते हैं. कोरोना के चलते सरकार ने स्कूलों को बंद कर दिया है. केवल गणित, अंग्रेजी, हिंदी जैसे जरूरी विषय की कक्षाएं चल रही हैं. म्यूजिक, आर्ट, पेंटिंग, खेलकूद सहित अन्य विषयों की कक्षाएं अभी बंद हैं. वहीं स्कूल प्रबंधन की तरफ से संगीत, पेंटिंग के टीचरों को हटा दिया गया है. ऐसे में हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं.

स्कूल व कोचिंग में संगीत शिक्षकों को कम वेतन मिलता है. ऐसे में खर्चा चलाने के लिए वे कई कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेते हैं. रातभर जागकर लोगों का गीत-संगीत से मनोरंजन करने वाले संगीतकार इन दिनों दो वक्त की रोटी के लिए खासे परेशान हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में कलाकारों ने कहा कि जीवन में ऐसा समय कभी देखने को नहीं मिला, जब पैसे-पैसे को मोहताज होना पड़े. उन्होंने कहा कि संगीत लोगों को मोटिवेट करने के साथ खुश रखने का काम करता है.

सांस्कृतिक आयोजनों पर प्रतिबंध से कलाकार परेशान...

कोरोना काल में लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं, आत्महत्या की घटनाएं हो रही हैं. ऐसे में संगीत से लोगों को राहत मिल सकती है. सरकार को संगीत क्लासेस शुरू करने की इजाजत देनी चाहिए, जिससे लोग संगीत सीखकर तनाव मुक्त रहें. जिले में 100 से अधिक बड़ी प्राइवेट स्कूल हैं जिनमें संगीत, क्राफ्ट, पेंटिंग के अध्यापक कार्यरत थे. कोरोना काल में केवल जरूरी विषयों की कक्षाएं चल रही हैं. ऐसे में सभी को नौकरी से हटा दिया गया है.

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नए लोगों को आ रही ज्यादा परेशानी...

संगीत से जुड़े हुए लोगों ने कहा कि नए लोगों के सामने परेशानी ज्यादा आ रही है. कुछ लोगों ने कोरोना काल से पहले अपना बैंड बनाया था. कुछ ने बैंड के लिए अभ्यास करना शुरू ही किया था, लेकिन कोरोना के चलते काम बंद हो गया. इन लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

संगीत शिक्षकों और कलाकारों पर संकट...

घर में ही कर रहे रियाज...

कुछ लोगों ने कहा कि कोरोना काल में घर में ही रियाज कर रहे हैं. स्कूल बंद होने से रियाज का समय भी काफी मिल जा रहा है. खाली समय को काम में लेते हुए लोग वाद्य यंत्रों पर भी अभ्यास करने में लगे हैं. इसका फायदा उनको आने वाले समय में मिलेगा.

ऑनलाइन क्लास का दौर जारी कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन क्लास का क्रेज बढ़ गया है. कुछ लोग संगीत की ऑनलाइन क्लास चला रहे हैं. इससे बड़ी संख्या में लोग घर में बैठ कर ही म्यूजिक सीख रहे हैं, तो वहीं वाद्य यंत्र सिखाने के अलावा गायन सहित अन्य चीजों की भी ऑनलाइन क्लासेज चल रही है. युवाओं में ऑनलाइन क्लास का क्रेज खासा देखने को मिल रहा है. हालांकि, उनका कहना है कि सामने सीखने पर ज्यादा समझ आता है.

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