अलवर. जिले में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. राजस्थान में अन्य जगहों की तुलना में अलवर के हालात खराब है. शहर में अब तक 5 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं और प्रतिदिन 100 से अधिक नई मरीज मिल रहे हैं. ऐसे में प्रशासन और सरकार की तरफ से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
कोरोना कॉल में स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी लगातार अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर कोरोना से सीधा मुकाबला कर रहे हैं. नियम के हिसाब से डॉक्टरों को सभी तरह के संसाधन मिल रहे हैं, तो वही पुलिसकर्मियों को भी प्रशासन की तरफ से मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. लेकिन इन सब में सफाईकर्मी परेशान हो रहा है, क्योंकि सफाईकर्मी को अब तक ना तो कोई सुरक्षा के उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं, ना ही कोरोना से बचने के लिए मास्क और सैनिटाइजर.
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हालांकि अलवर नगर परिषद द्वारा सफाईकर्मियों के खाते में एक बार एक हजार रुपए जमा कराए गए थे, लेकिन उसके बाद से प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है. जबकि सफाईकर्मी सुबह शाम लगातार ड्यूटी करते हैं. सड़क पर झाड़ू लगाने, कचरा उठाने, नालियों की सफाई करने सहित सभी तरह के कार्य सफाईकर्मियों द्वारा किए जाते हैं. ऐसे में सफाई कर्मी सीधे तौर पर संक्रमण के संपर्क में रहते हैं लेकिन उसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
अलवर नगर परिषद में करीब 700 सफाई कर्मी है. जिसमें 500 स्थाई तो वहीं 200 से अधिक अस्थाई सफाई कर्मी लगे हुए हैं. अलग-अलग सेक्टर में शहर की व्यवस्था को बांटा गया है. जरूरत के हिसाब से सभी जगह पर सफाईकर्मियों को भेजा जाता है. अस्पताल के अलावा पूरे शहर को साफ रखने में सफाईकर्मी की अहम भूमिका रहती है.
नियम के हिसाब से प्रत्येक सफाईकर्मी को काम पर जाने से पहले प्रतिदिन मास्क, हैंड ग्लव्स और अन्य जरूरी सामान मिलने चाहिए. तो वहीं सैनिटाइजर से हाथ धोने की व्यवस्था भी समय-समय पर आवश्यक है. लेकिन अलवर में इन सभी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं. नगर परिषद के अधिकारियों का दावा है कि सफाईकर्मियों को सभी जरूरत की चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन सफाईकर्मियों ने नगर परिषद के सभी दावों को नकारा है.