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SPECIAL: बच्चों के टीकाकरण में बाधा बना CORONA, UNICEF की चेतावनी के बाद फिर शुरू होगा काम

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण सरकार को लॉकडाउन जैसा कठोर कदम उठाना पड़ा था. हर उम्र के लोगों के साथ ही लॉकडाउन का असर नवजात बच्चों पर भी पड़ा. लॉकडाउन के कारण बच्चों का समय पर टीकाकरण नहीं हो पाया. अब UNICEF द्वारा चेतावनी जारी करने के बाद प्रशासन चेता है. देखें ये स्पेशल रिपोर्ट..

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बच्चों के टीकाकरण में संक्रमण बना रुकावट

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Published : Jul 8, 2020, 3:32 PM IST

Updated : Jul 8, 2020, 4:10 PM IST

अलवर.कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच बड़ी संख्या में बच्चों को टीके नहीं लग पाए थे. ऐसे में जिन बच्चों का सुरक्षा चक्र टूट गया है, उन पर स्वस्थ्य सम्बन्धी खतरा मंडरा रहा है. इस कारण कोरोना के साथ कई अन्य जानलेवा बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 के कारण पूरे दक्षिण एशिया में करीब 40 लाख 50 हजार बच्चों का नियमित टीकाकरण नहीं हो पाया है. हालांकि कोविड-19 से पहले भी ऐसी स्थितियां कुछ ज्यादा बेहतर नहीं थी, लेकिन अब यह ज्यादा चिंताजनक हो गई है.

बच्चों के टीकाकरण में संक्रमण बना रुकावट

'टीके जो लगने हैं जरूरी'

बच्चे के जन्म के साथ ही टीके लगने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए हेपेटाइटिस, खसरा, निमोनिया, पोलियो सहित कई टीके लगाए जाते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते मार्च, अप्रैल और मई माह में बच्चों का टीकाकरण नहीं हो सका.

स्वास्थ विभाग के आंकड़े (4)

ऐसे में पेंटावेलेंट, ओरल, पोलियो वैक्सीन, इंजेक्टबल पोलियो वैक्सीन, रोटा वायरस पीसीबी की प्रथम, द्वितीय, तृतीय और बूस्टर डोज के टीके की स्वास्थ्य विभाग की तरफ से समीक्षा की गई. इस दौरान काफी अंतर पाया गया. कुछ जगह पर बच्चों के टीके नहीं लगे, तो वहीं कुछ जगहों पर स्टाफ की उपस्थिति नहीं होने के कारण टीकाकरण का कार्यक्रम खासा प्रभावित होना पाया गया.

स्वास्थ विभाग के आंकड़े

'भारत में टीकाकरण का समय'

  • जन्म पर बीसीजी, ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV-0) और हैपेटाइटस बी
  • छह हफ्ते पर- डीपीटी-1, इनएक्टिवेटिड पोलियो वैक्‍सीन (IPV-1), OPV-1, रोटावायरस-1, न्‍यूमोकॉकल कॉन्‍जुगेट वैक्‍सीन (PCV-1)
  • 10 हफ्तों पर – डीपीटी-2, OPV-2, रोटा वायरस-2
  • 14 हफ्तों पर - डीपीटी-3, OPV-3, रोटा वायरस-3, IPV-2, PCV-2
  • 9-12 महीनों पर – खसरा और रूबेला-1
  • 16-24 महीनों पर – खसरा-2, डीपीटी बूस्टर-1, OPV बूस्टर
  • 5-6 साल – डीपीटी बूस्टर-2
  • 10 साल – टेटनस टॉक्साइड/ टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया
  • 16 साल -टेटनस टॉक्साइड/ टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया
    स्वास्थ विभाग के आंकड़े(2)

वहीं अलवर में भी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के हिसाब से हर महीने 7 हजार से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया जाता है. ऐसे में 3 महीनों के आंकड़ों के अनुसार करीब 21 हजार से अधिक बच्चों का टीकाकरण होना था. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से यह लोग घरों से बाहर नहीं निकले और ये बच्चों को टीकों से वंचित रहना पड़ा. ऐसे में टीकाकरण नहीं होने की वजह से नवजात बच्चों को कई तरह के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.

स्वास्थ विभाग के आंकड़े(3)

'अलवर में टीकाकरण की फिर से शुरुआत'

ऐसे में लॉकडाउन के दौरान जिन बच्चों के टीके नहीं लगे, उनको अब टीके लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. स्वास्थ्य विभाग ने सभी क्षेत्रों में निचले स्तर तक व्यवस्थाएं सुधारने और फिर से टीकाकरण शुरू करने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद हाल ही में अलवर सहित पूरे प्रदेश में टीकाकरण शुरू हुआ है. दूसरी तरफ जिन बच्चों को संक्रमण के चलते टीके नहीं लग पाए, उनके भी टीके लगाने के निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए टीकाकरण से वंचित बच्चों की सूची तैयार की गई है.

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओपी मीणा के मुताबिक लॉकडाउन में कोरोना संक्रमण के चलते बच्चों को टीके नहीं लग पाए थे. ऐसे में बड़ी संख्या में बच्चे टीकाकरण से वंचित हो गए थे, उनकी लिस्ट तैयार कर ली गई है. मुख्यालय से सभी छूटे हुए बच्चों को टीके लगाने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में पूरे सप्ताह विशेष अभियान चलाकर बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा जिले में टीकाकरण प्रक्रिया फिर से पूरी तरीके से शुरू कर दी गई है.

अगस्त महीने में है पोलियो अभियान

अगस्त माह में पोलियो का अभियान चलेगा. इसके लिए विभाग की तरफ से तैयारियां शुरू भी कर दी गई है. कोरोना संक्रमण के चलते अभी तक सभी काम प्रभावित थे.

Last Updated : Jul 8, 2020, 4:10 PM IST

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