अलवर. लॉकडाउन के बाद से लगातार स्कूल संचालक व अभिभावकों के बीच विवाद के मामले सामने आ रहे थे. स्कूल संचालक फीस की मांग कर रहे थे, जबकि अभिभावक फीस में छूट देने की बात कह रहे थे. सरकार ने इस संबंध में कई आदेश दिए तो यह मामला न्यायालय में भी पहुंचा. न्यायालय की तरफ से अलग-अलग आदेश जारी किए गए. सरकार के आदेशों के बीच अलवर सहित पूरे प्रदेश के सीबीएसई स्कूल संचालकों ने 5 नवंबर से कामकाज बंद करने का फैसला लिया है. इस दौरान ऑनलाइन क्लास भी नहीं चलेगी. साथ ही मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया है. स्कूल संचालक व स्टाफ में इस बार दिवाली नहीं मनाने का फैसला लिया है.
सीबीएसई स्कूल संचालकों ने दिया सीएम व पीएम के नाम ज्ञापन सीबीएसई सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स की तरफ से एक प्रेस वार्ता बुलाई गई. इसमें स्कूल संचालक व स्कूल कॉम्प्लेक्स के पदाधिकारी मौजूद रहे. इस दौरान कॉम्प्लेक्स के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार लगातार नए फरमान जारी कर रही है. शुरुआत में सरकार ने कहा कि 70 प्रतिशत फीस ली जाए, लेकिन अब सरकार ने कई बदलाव किए हैं. सरकार की तरफ से अभी तक यह साफ नहीं किया गया है कि किस मद में कितनी फीस लेनी है. सीबीएसई स्कूल की फीस सरकार की तरफ से निर्धारित की जाती है.
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उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ट्यूशन फीस की बात कहता है, जबकि ट्यूशन फीस सीबीएसई में नहीं ली जाती है. इसके अलावा सरकार की तरफ से परीक्षा शुल्क सहित स्कूलों से वसूले जाने वाले करों में कोई कमी नहीं की है, जबकि लगातार स्कूल प्रबंधन पर फीस कम करने सहित कई अन्य दबाव बनाए जा रहे हैं. ऐसे में अभिभावक स्कूल स्टाफ स्कूल संचालक के बीच कई तरह के कन्फ्यूजन हो गए हैं.
अलवर सहित पूरे प्रदेश के 50,000 स्कूल संचालकों ने 5 नवंबर से सभी तरह का कामकाज बंद करते हुए विरोध दर्ज कराया है. यह विरोध अनिश्चितकालीन है. अलवर में सीबीएसई के करीब 100 स्कूल हैं. प्रत्येक स्कूल में करीब 100 के आसपास स्टाफ है. कामकाज बंद होने से सभी व्यवस्थाएं ठप हो जाएंगी. वहीं स्कूल संचालकों की तरफ से सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया जाएगा.
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सीबीएसई सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स के अध्यक्ष प्रभात कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन भेजा गया है. इसमें स्कूल संचालकों द्वारा अपनी मांगें सरकार के सामने रखी गई हैं. उन्होंने कहा कि सरकार यह साफ करे कि स्कूल को क्या करना है. न्यायालय के आदेश के बाद स्कूल संचालकों ने फीस में कटौती करते हुए फीस लेने की प्रक्रिया शुरू की.