अलवर.सरकार की तरफ से वाहन चालकों की सुविधा के लिए फास्टैग तकनीक शुरू की गई. इसके तहत गाड़ी के आगे के शीशे पर एक चिप नुमा कार्ड लगाया जाता है. इसमें पैसे डाले होते हैं, जैसे ही गाड़ी टोल पर पहुंचती है. वहां पर लगे सेंसर अपने आप टोल का पैसा काट लेते हैं. यह पूरी प्रक्रिया अपने आप कंप्यूटर सिस्टम से होती है. ऐसा करते ही अपने आप टोल खुल जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को फास्टैग नाम दिया गया. इससे वाहन चालकों को भी फायदा हुआ.
वहीं टोल पर लगने वाली लंबी कतारों से भी छुटकारा होने के बात कही गई. सभी नेशनल और स्टेट हाईवे पर फास्टैग को शुरू किया गया. लेकिन लोगों को समझाइश करने के लिए बीते दो महीने से एक कैश की लाइन भी चल रही थी, जिन गाड़ियों में फास्टैग लगा नहीं था, वो गाड़ियां पैसे देकर आसानी से निकल सकती थीं. 15 फरवरी रात 12 बजे से सरकार ने देश की सभी नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे पर फास्टैग पूरी तरह से शुरू करने के निर्देश दिए. इसके तहत टोल पर कैश की लाइन को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है, जिस वाहन में फास्टैग लगा नहीं होगा. उस वाहन चालक से जुर्माने के रूप में निर्धारित टोल राशि दोगुनी वसूली जाएगी. दिल्ली-जयपुर हाईवे से प्रतिदिन 70 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं. वाहनों का सबसे ज्यादा दबाव इसी हाईवे पर रहता है. अब भी बड़ी संख्या में वाहन चालकों द्वारा फास्टैग नहीं लगाया गया है. ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही जुर्माने की मार भी झेलनी होगी.
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