अलवर. रक्षाबंधन के मौके पर प्रदेश सरकार की तरफ से बहनों को रोडवेज बसों में निशुल्क यात्रा का तोहफा दिया गया (Free travel for women in Roadways) है. इसलिए रोडवेज बसें खचाखच होकर चल रही हैं. अलवर केंद्रीय बस स्टैंड पर बसों की कमी के चलते यात्रियों को खासी परेशानी हुई. यहां गेट व खिड़की पर लटक कर यात्री यात्रा करने को मजबूर नजर (Passengers facing problems in buses) आए. वहीं, बहनें बस के इंतजार में घंटों परेशान होती रहीं. रोडवेज के अधिकारियों ने कहा कि अतिरिक्त बसें लगाई गई हैं.
अलवर के केंद्रीय बस स्टैंड से अलवर आगार व मत्स्य आगार की बसें संचालित होती हैं. दोनों डिपो में ढाई सौ से ज्यादा बसे हैं. रक्षाबंधन के मौके पर बहनों को सरकार की तरफ से निशुल्क बस की सुविधा दी गई है. इसलिए ज्यादातर बहनें बसों से सफर कर रही हैं. इसलिए रोडवेज बसों में भारी भीड़ है. अलवर से प्रतिदिन जयपुर, दिल्ली, दौसा, कोटा, उदयपुर, जोधपुर, जम्मू, अंबाला, चंडीगढ़, लुधियाना, पानीपत, सोनीपत, मथुरा, आगरा, अलीगढ़ सहित आसपास के रूटों पर भी बसें संचालित होती हैं.
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सबसे ज्यादा बसों की डिमांड अलवर-जयपुर, अलवर-दौसा, अलवर-मथुरा-आगरा, अलवर दिल्ली रुट पर हैं. इन रुट्स पर रोडवेज की तरफ से हर 25 से 30 मिनट में बस की व्यवस्था है. लेकिन यात्रियों की ज्यादा भीड़ के सामने ये भी कम है. रोडवेज के अधिकारियों ने कहा कि लंबे रूटों के साथ छोटे रूटों पर भी यात्रियों की भारी भीड़ है. इसलिए लंबे रूटों की बसों को छोटे रूटों पर लगाया गया है. अतिरिक्त बसों की व्यवस्था की जा रही है. जिस रूट पर ज्यादा यात्री हैं, उस पर बसों की संख्या भी बढ़ाई गई है.
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यात्रियों की डिमांड के अनुसार रोडवेज के कर्मचारी व अधिकारी लगातार बसों की व्यवस्था करने में लगे हुए हैं. यात्रियों ने कहा कि सरकार को बसों की संख्या बढ़ानी चाहिए. ज्यादातर बसें टूटी व क्षतिग्रस्त हैं. ऐसे में यात्रियों को सफर करने में परेशानी होती है. 3 से 4 घंटे में एक बस आती है. बस के आते ही यात्री उस पर लटक जाते हैं. खिड़की व गेट से लटककर यात्री सफर कर रहे हैं. ऐसे में किसी भी समय बड़ा हादसा होने का खतरा बना रहता है.