अलवर. जिले का बाला किला देश-विदेश में खास पहचान रखता है. बाला किला शिल्प कला का अद्भुत उदाहरण है. इस किले में कभी कोई युद्ध नहीं हुआ है. इसलिए इसका नाम बाला पड़ गया. बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने के लिए यहां आते हैं. बाला किला क्षेत्र में करणी माता, चक्रधारी हनुमान का मंदिर है. जिसके चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी यहां आते हैं. बीते 4 साल से वन विभाग की तरफ से बाला किले में सफारी भी संचालित की जा रही है.
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बाला किला सरिस्का बफर जोन में आता है. यहां लगातार पैंथर की साइटिंग होती है. ऐसे में वन विभाग प्रशासन की तरफ से आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. यहां घूमने के लिए आने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही मंदिरों में लोग पूजा करने के लिए भी नहीं जा पा रहे हैं. करणी माता मंदिर में साल में दो बार नवरात्र में मेला भरता है. इसके अलावा प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं.
बाला किला क्षेत्र में आम लोगों के प्रवेश पर लगी रोक चक्रधारी हनुमान मंदिर में मंगलवार व शनिवार को बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. कुछ साल पहले सरिस्का वन विभाग की तरफ से बाला किला बफर जोन में सफारी शुरू की गई. सफारी में इस समय करीब 18 जिप्सी चल रही हैं. इसके अलावा बाला किला क्षेत्र में जाने के लिए दोपहिया, चौपाया वाहनों को अलग से शुल्क देना पड़ता है. स्थानीय लोग प्रतिदिन बड़ी संख्या में सुबह शाम घूमने के लिए आते हैं.
जिला प्रशासन ने बाला किला क्षेत्र में बाग की साइटिंग के चलते आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. केवल मंगलवार और शनिवार को मंदिरों में जाने की अनुमति रहती है. प्रशासन के इस फैसले का स्थानीय लोग काफी विरोध कर रहे हैं. इस संबंध में लोग कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन भी कर चुके हैं. लेकिन उसके बाद भी सरकार और प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं गया. लोगों का कहना है कि प्रशासन उनसे जबरन जजिया कर वसूल रहा है. लोग आम लोगों के प्रवेश पर लगी रोक हटाने की मांग कर रहे हैं.
वन विभाग वसूल रहा है चार्ज
वन विभाग की तरफ से बाल किला क्षेत्र में जाने वाले चौपाया वाहन चालकों से 50 रुपए वाहन शुल्क व 10 रुपये प्रति सवारी के हिसाब से चार्ज लिया जाता है. इसके अलावा दोपहिया वाहनों से भी कर वसूला जाता है. इसका लंबे समय से विरोध हो रहा है. लोगों का कहना है कि वन विभाग व प्रशासन लंबे समय से पैसे वसूल रहा है. लेकिन उस पैसे को बाला किले के विकास पर नहीं लगाया जाता. यहां आने वाले पर्यटकों को परेशानी होती है. ना यहां बैठने की व्यवस्था है और ना ही दूसरी चीजों की.
मंदिर में होती है प्रतिदिन पूजा
लोगों का कहना है कि करणी मातामंदिर और चक्रधारी हनुमान मंदिर में प्रतिदिन सुबह व शाम के समय पूजा होती है. लेकिन वन विभाग की तरफ से पुजारी को केवल मंगलवार व शनिवार को जाने की अनुमति दी जाती है. ऐसे में पुजारी व अन्य लोग खासे परेशान हैं. लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन उनकी बात नहीं सुनता है तो वो धरना देने पर मजबूर हो जाएंगे.