अलवर. देश के अलग-अलग शहरों में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा (Lord Jagannath became bridegroom) निकलती है. लेकिन अलवर में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा मेला सबसे अलग रहता है. अलवर में भगवान जगन्नाथ का 'जानकी जी' से विवाह होता है. शुक्रवार शाम को भगवान जगन्नाथ दूल्हे के रूप में तैयार होकर 'जानकी जी' से विवाह करने के लिए मंदिर से निकले.
उनकी बारात में शहर के लोग बाराती बने. शाम करीब 6 बजे शुरू हुई यह रथयात्रा शनिवार तड़के 5 बजे रूपबास मेला स्थल पर पहुंचेगी. 3 दिन तक मेला भरेगा. इस दौरान अग्नि को साक्षी मानकर भगवान जगन्नाथ 'जानकी जी' के साथ सात फेरे लेंगे. यह कार्यक्रम अलवर का सबसे बड़ा कार्यक्रम होता है. इसमें अलवर के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली गुजरात सहित आसपास के राज्यों के शहरों से लोग भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए आते हैं.
दूल्हा बने भगवान जगन्नाथ की निकली बारात जगन्नाथ मंदिर से निकली रथयात्राःजगन्नाथ महोत्सव के तहत शाम को भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथयात्रा सुभाष चौक के जगन्नाथ मंदिर से निकाली गई. जो देर रात रूपबास में रूपहरि मंदिर पहुंचेगी. कोरोना के कारण दो साल तक भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन नही हो सका था. भगवान जगन्नाथ के मंदिर से बाहर आने पर शहरवासी उनके दर्शन को उमड़ पड़े. रथयात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया. साथ ही रूपबास में 'जगन्नाथजी' का मेला शुरू हो गया है.
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पुलिस ने दिया गार्ड ऑफ ऑनरः रथयात्रा शुरू होने से पहले जिला कलेक्टर डॉ. जितेन्द्र सोनी ने मंदिर में गोलख पूजन किया. इस अवसर पर मेला कमेटी व प्रशासन के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे. इसके बाद भगवान जगन्नाथ की महाआरती हुई और शुभ मुहूर्त में शंख नाद घंटे घड़ियाल की ध्वनि के साथ भगवान को गर्भगृह से बाहर लाकर भक्तों को दर्शन कराए गए. साथ ही इंद्र विमान रथ में विराजमान किया गया. इसके बाद पुलिस की ओर से भगवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.
भगवान के इंद्र विमान रथ को रंग-बिरंगे फूलों, कपड़ों व रंग- बिरंगी रौशनी से सजाया गया था. इंद्र विमान रथ को ट्रैक्टर से खींचा जा रहा था. इस दौरान बडी संख्या में श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने के लिए रथ के नीचे से निकलते नजर आए. भगवान की रथयात्रा में ऊंट, घोड़े, बैंड, झांकियां, पानी की प्याऊ, भजन मंडलियां, ताशा पार्टी, शहनाई वादन, हरियाणा से आई भजन मंडलियां शामिल थीं.
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रास्ते में आने वाले मंदिरों में भगवान की आरती की गई. शहर के प्रमुख चौराहों, सड़क मार्गों पर बड़ी संख्या में लोग भगवान के दर्शन के लिए पहुंचे. शनिवार को 'जानकी जी' की सवारी निकलेगी और वह मेला स्थल पर पहुचेंगी. उसके बाद विवाह की आगे की रस्म पूरी होंगी. विवाह के इस कार्यक्रम में गणेश पूजन से लेकर सभी कार्यक्रम होते हैं. 15 दिनों तक मंदिर में कंगन डोडे बांधने से लेकर मेहंदी, हल्दी रस्म के कार्यक्रम किए जाते हैं.