अलवर.अलवर जिला प्रदेश का सीमावर्ती जिला है. एनसीआर में होने के साथ ही अलवर प्रदेश का सिंहद्वार है. एक तरफ अपनी पर्यटन स्थल और खूबसूरती के लिए अलवर की खास पहचान है तो क्राइम के लिहाज से अलवर पूरे प्रदेश में बदनाम है. बेखौफ बदमाश खुलेआम घटनाओं को अंजाम देते हैं. बेहतर कानून व्यवस्था के लिए सरकार ने अलवर में दो एसपी तैनात किए हैं. उसके बाद भी अलवर में घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. प्रदेश सरकार में दो कैबिनेट मंत्री अलवर जिले के हैं, उसके बाद भी हालात लगातार खराब हो रहे हैं.
बता दें, अलवर जिले में 7 से अधिक मॉब लिंचिंग की घटनाएं (Mob Lynching in Alwar) हो चुकी हैं. पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा मॉब लिंचिंग की घटनाएं अलवर और भरतपुर क्षेत्र में होती है. सरकार ने मॉब लिंचिंग का कानून बनाया और बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन उसके बाद भी मॉब लिंचिंग के मामले (Mob Lynching in Alwar) सामने आ रहे हैं. हाल ही में गोविंदगढ़ क्षेत्र में एक सब्जी बेचने वाले को लोगों ने पीट-पीटकर मौत के घाट उतार (Mob Lynching in Govindgarh) दिया. इस घटना के बाद एक बार फिर से कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं.
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अलवर पूरे प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां दो एसपी तैनात हैं. लेकिन उसके बाद भी क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. प्रदेश सरकार से टीकाराम जूली और शकुंतला रावत कैबिनेट मंत्री हैं. अलवर की मजबूत दावेदारी है. इसके अलावा मेवात विकास बोर्ड शहरी विकास निगम सहित तमाम ऐसे पद हैं, जिनको मंत्री का दर्जा मिला हुआ है. इन पदों पर अलवर के विधायक तैनात हैं. उसके बाद भी अलवर में ताबड़तोड़ घटनाओं का सिलसिला जारी है. सीमावर्ती जिला होने के कारण घटनाओं को अंजाम देने के बाद बदमाश आसानी से दूसरे राज्य में फरार हो जाते हैं.
अलवर और भरतपुर के 150 किलोमीटर क्षेत्र से गौ तस्कर, शराब तस्कर, वाहन चोर हथियार तस्कर और मादक पदार्थों के तस्कर खुलेआम राजस्थान में प्रवेश करते हैं और राजस्थान से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की रास्ता पर आते जाते हैं. इसलिए 150 किलोमीटर का कॉरिडोर बन चुका है. इस क्षेत्र से सभी तरह की तस्करियां होती है. पुलिस प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी लगातार यह खेल चल रहा है.