अलवर. जिले में प्याज के बढ़ते भाव को लेकर जहां एक ओर देश की संसद में शोरगुल मचा हुआ है. वहीं प्याज के बढ़ते दामों को लेकर अलवर जिले का किसान खुश नजर आ रहा है. कई साल बाद किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं. इससे पहले किसानों को कभी भी भाव नहीं मिले. बढ़ते भाव को लेकर किसानों के चेहरे पर खुशी के भाव हैं और किसानों की मानें तो ऐसा पहली बार हुआ है. जब उनके परिवार में खुशी देखी गई है.
प्याज के बढ़ते दामों से अलवर के किसानों के चेहरे पर खुशी अलवर जिले में करीब 20 हजार हेक्टेयर जमीन पर प्याज की पैदावार हुई है और हर साल प्याज का रकबा बढ़ता जाता है. पिछले 3-4 साल से प्याज की फसल के भाव किसान को नहीं मिलने से निराशा हाथ लगी थी. पिछली बार तो अलवर के किसानों ने प्याज के भाव कम होने के कारण प्याज को खेत में ही पड़ा छोड़ दिया और उसको मंडी तक नहीं लाए.
लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरीके से उलट है. किसानों को बढ़ते दामों के कारण 80 रुपये किलो का भाव प्याज थोक में बिक रहा है. वहीं मंडी में प्याज 100 से 120 रुपए किलो तक बिक रहा है. अलवर की प्याज मंडी में करीब 20 हजार कट्टे प्रतिदिन प्याज आ रहा है. इनमें से करीब 5 हजार कट्टे प्रतिदिन दिल्ली की मंडी जा रहे हैं.
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अलवर के चांदोली गांव के कृषक अब्दुल रशीद ने बताया कि इस बार प्याज के दाम बढ़ने से किसानों को फायदा हो रहा है. मेरी 60 साल की उम्र में पहली बार इतना अच्छा प्याज का भाव आया है. जिससे हमारे पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. अगर प्याज के दाम बढ़ने से किसानों को फायदा होता है तो नेताओं को शोरगुल नहीं करना चाहिए.
मंडी में आए कई किसानों ने बताया प्याज के दाम बढ़ने से उनकी कई देनदारियां चुक गई हैं और अब कच्चे घरों से पक्के मकान भी बनने लगे हैं. वाहन खरीद कर बच्चों की जिद को भी पूरा किया जा रहा है. प्याज उत्पादक किसान मौसमदीन ने बताया कि अब प्याज होने से उनको फायदा होगा और जब हमने प्याज बोई थी तो घर के गहने रखकर फसल बोई थी. अब महंगे प्याज होने से हम अपने प्याज को बेच कर गहनों को छुड़वा पाएंगे.
उन्होंने नेताओं पर आरोप लगाया है कि जब प्याज किसानों की सस्ती होती है तो यह नेता कहां जाते हैं. एक किसान ने बताया कि पानी की समस्या के चलते प्याज कम हुई थी, लेकिन इस बार फसल के दाम अच्छे मिलने से बोरिंग लग जाएगी. अगले साल ज्यादा प्याज बोई जाएगी. मंडी में प्याज बेचने वाले आए दर्जनों किसानों ने कहा कि सरकार को प्याज का समर्थन मूल्य घोषित कर देना चाहिए. कम से कम 30 से 40 रुपये किलो समर्थन मूल्य होना चाहिए. जिससे किसानों को भी किसी तरह का नुकसान नहीं हो.
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उन्होंने बताया कि अगर प्याज महंगी नहीं होती तो किसान अगले साल कैसे बोएगा. प्याज के दाम पर शोर मचाने वाले नेताओं को क्या प्याज बोने पर कितनी लागत आती है. कितना नुकसान होता है. शोर मचाने के अलावा उनके पास क्या है. किसानों ने नेताओं को मौका परस्ती बताया. पिछले साल तो हालात यह थे कि बोने का भी खर्चा नहीं निकला था. इधर प्याज व्यापारी पप्पू भाई सैनी ने बताया कि अलवर की मंडी में प्याज बिकने से किसानों को तो फायदा हो ही रहा है और आढ़तियों को भी फायदा हो रहा है.