अलवर.अलवर के एक सरकारी विभाग में अधिकारी और कर्मचारियों की अनोखी पहल सभी के लिए मिसाल बन रही है. इन लोगों ने कबाड़ के सामान को नया रूप देते हुए पौधारोपण में उन चीजों को काम में लिया है. इसके अलावा ऑफिस में ही वाटर हार्वेस्टिंग और कंपोस्ट खाद बनाने सहित कई नवाचार किए हैं. देखिये यह रिपोर्ट...
कुछ दिन पहले जिला परिषद के सीईओ जसमीत सिंह संधू ने ऑफिस का निरीक्षण किया था. इस दौरान जगह-जगह प्लास्टिक की बोतलें, प्लास्टिक की टंकियां, लोहे का सामान और अन्य चीजें कबाड़ में पड़ी दिखाई दीं. इस पर उन्होंने ऑफिस के स्टोर प्रभारी पंकज शर्मा के साथ कबाड़ को काम में लेने की योजना तैयार की. ऑफिस में मौजूद कबाड़ के सामान को एकत्रित किया गया.
इसमें टायर, टूटी हुई पानी की प्लास्टिक की टंकी, प्लास्टिक की बोतलें, लोहे के स्टैंड, लोहे के बर्तन सहित अन्य सामान थे. सभी को अलग-अलग रंगों से पेंट किया गया. इसके बाद सभी को एक नया रूप देते हुए उस में पौधारोपण किया. प्लास्टिक की टंकियों को काटकर जमीन में गाड़ा गया. जिससे बारिश के दौरान पानी जमीन के अंदर जा सके और वाटर हार्वेस्टिंग की प्रक्रिया हो सके.
इसके अलावा कुछ प्लास्टिक की टंकियों में कंपोस्ट खाद बनाई जा रही है. इसके लिए ऑफिस के पेड़ों से गिरने वाले पत्ते इस्तेमाल किये जा रहे हैं. इस खाद को पौधारोपण में काम में लिया जाएगा. प्लास्टिक की बोतलों को पेंट करने के बाद उसमें पौधे लगाए गए. साथ ही लोहे के पिलर और अन्य चीजों पर पौधारोपण करते हुए कई बेहतर कार्य किए हैं. अधिकारी और कर्मचारियों की पहल को प्रदेश सरकार ने सराहना की है.
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जिला परिषद ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ा हुआ विभाग है. जिले के सभी सरपंच, प्रधान, उपसरपंच, ग्राम विकास से जुड़े कार्यों के लिए यहां आते हैं. ऐसे में उन लोगों को भी प्रेरित किया जा रहा है कि वे अपने क्षेत्र में पर्यावरण से जुड़ी हुई गतिविधियां करें. कचरे को काम में लेते हुए पौधारोपण करें. ऐसे में जिले के थानागाजी तिजारा सहित कई ब्लॉकों में काम भी शुरु हुआ है. इतना ही नहीं जिला परिषद के इस अनोखे प्रयास के बाद अलवर यूआईटी की तरफ से भी शहर के कई चौराहों पर वेस्ट और कचरे का उपयोग करते हुए पौधारोपण किया है. साथ ही शहर वासियों को भी प्रेरित किया जा रहा है. जिला परिषद के कर्मचारियों और अधिकारियों की यह अनोखी पहल पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है.
गांव में भी शुरू हुआ काम