अलवर. राजस्थान में जयपुर के बाद अलवर सबसे ज्यादा घनी आबादी वाला जिला है. अलवर में 15 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें लाखों श्रमिक काम करते हैं. सीमावर्ती जिला होने के कारण हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा अलवर से लगती है. इसके अलावा तमाम सेनाओं के मुख्यालय अलवर में है. वहीं अलवर एनसीआर का पार्ट होने के कारण पूरे देश में विशेष स्थान रखता है. ऐसे में कोरोना की दृष्टि से अलवर संवेदनशील है, लेकिन अलवर में अब तक कोरोना के केवल 52 पॉजिटिव मरीज मिले हैं. जबकि राजस्थान के अन्य जिलों में ये आंकड़ा सैकड़ों में है.
ऐसे में अलवर के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओपी मीणा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने अलवर में चल रही योजना पर काम की जानकारी देते हुए कहा कि जिस दिन चीन के वुहान में पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला था. उसी दिन से अलवर में स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना के बारे में जानकारी दी गई. उससे निपटने के लिए ट्रेनिंग के माध्यम से जागरूक किया गया. इसके अलावा जैसे-जैसे कोरोना का प्रभाव बढ़ा, भारत में पहला मरीज मिला.
उसके बाद से अलवर में योजनाबद्ध तरह से काम करते हुए बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जांच के साथ ही उसकी हिस्ट्री तलाश करते हुए सभी पर नजर रखी गई. इस तरह से जनवरी माह के बाद फरवरी माह की शुरुआत हुई. फरवरी माह में लगातार स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रखी गई. इसके बाद जैसे-जैसे कोरोना का प्रभाव पड़ा लगातार गतिविधियों में बढ़ोतरी की गई.
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7 हजार कर्मचारी कर रहे हैं काम
सीएमएचओ ने बताया कि अलवर में इस समय स्वास्थ्य विभाग के 7 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं. इसमें 3 हजार आशा और एनएम भी शामिल है. किसी भी संदिग्ध की जानकारी मिलने के 24 घंटे के अंदर स्वास्थ्य टीम उसके पास पहुंचती है और उसके सैंपल लिए जाते हैं. इसके अलावा लगातार आदेशों की पालना नहीं करने वाले लोगों के खिलाफ विभाग की तरफ से कार्रवाई करने का काम भी किया गया. उन्होंने बताया कि शुरुआत में लोगों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया, लेकिन उस समय होम क्वॉरेंटाइन का कुछ लोगों ने पालन नहीं किया. इस पर उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जिसके बाद लोगों ने धीरे-धीरे होम क्वॉरेंटाइन का पालन करना शुरू किया.