अलवर. प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाला अलवर कोरोना में भी सबसे आगे है. प्रदेश सरकार की तरफ से विधायक फंड से वैक्सीन के लिए फंड लिया गया है. इसमें सबसे ज्यादा अलवर जिले के विधायकों का फंड है. दअरसल अलवर में 11 विधायक हैं, इसलिए यहां के विधायकों की राशि भी अधिक है, लेकिन अलवर को उस हिसाब से सुविधाएं नहीं मिल रही है. जिले में अभी जरूरी संसाधनों की कमी है.
प्रदेश में कोविड मैनेजमेंट के लिए दिए जाने वाला विधायक फंड अलवर जिले में सर्वाधिक है. जिले में 11 विधायक हैं, जिनका करीब 47 करोड़ रुपए कोविड मैनेजमेंट में सरकार के जरिए खर्च होगा. विधायक फंड में से एक विधायक को केवल 75 लाख रुपए ही अन्य कार्यों के लिए मिलेंगे, बाकी पैसा कोविड पर खर्च होगा. अन्य कार्यों के लिए अलवर के सभी विधायकों को सवा 8 करोड़ रुपए ही मिलेगा. इस लिहाज से अलवर में कोविड मैनेजमेंट भी होना जरूरी है, क्योंकि अलवर जिले में अब भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. जिसके चलते मरीज और उनके परिजन परेशान होते हैं.
पढ़ें-SPECIAL : खराब RT-PCR टेस्ट किट बन सकती है संक्रमण फैलने की वजह...राजस्थान में अभी तक खराब टेस्ट किट का कोई मामला नहीं
एक हजार करोड़ के विधायक फंड में से 850 करोड़ रुपए कोविड पर खर्च होंगे. इसके अलावा प्रति विधायक को केवल 75 लाख रुपए ही विकास कार्यों पर खर्च हो सकेंगे. गरीबों को फूड पैकेट बांटने के लिए प्रति विधायक 25 लाख रुपए कटेंगे. प्रति विधायक करीब एक करोड़ रुपए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होंगे.
हाल में सरकार ने विधायक फंड का बजट बढ़ाकर ढाई से 5 करोड़ रुपए किया है. इस समय पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, जिसे देखते हुए सरकार ने हर विधायक के फंड में से तीन करोड़ रुपए 18+ के वैक्सीनेशन के लिए काम लिया जाएगा. 18 साल से ऊपर वालों के वैक्सीनेशन के लिए सरकार विधायक फंड से 600 करोड़ रुपए सीधे काटकर सीएम रिलीफ फंड के वैक्सीनेशन अकाउंट में जमा कराएगी. इस राशि में तो विधायक की अनुमति की जरूरत नहीं होगी.
पढ़ें-CM गहलोत ने मरीज को भर्ती और रेफर करने के लिए निशुल्क एंबुलेंस सुविधा के दिए निर्देश
सरकार को टैक्स हो या वैक्सीन के लिए पैसा सभी में अलवर जिला आ गई है, लेकिन उसके बाद भी अलवर जिले को उस हिसाब से वरीयता नहीं दी जाती है. प्रदेश सरकार की तरफ से अभी तक अलवर में मेडिकल कॉलेज नहीं बनाया गया है. सालों से फाइलों में काम चल रहा है. कोरोना काल में भी केवल कमियां नजर आ रही हैं. जिले में सिस्टम पूरी तरह से खराब हो चुका है. हालात बेकाबू हो चुके हैं. लोगों को इलाज नहीं मिल रहा और लोगों की जान जा रही हैं. ऐसे में सरकार को इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है.