अलवर.सावन के महीने में भगवान शिव की बेल पत्र, दूध, दही, शहद पंचामृत से पूजा-अर्चना होती (Tripolia Mahadev Temple of Alwar) है. कहते हैं कि इस दौरान एक माह के लिए भगवान शिव पृथ्वी पर निवास करते हैं. इसलिए इस महा पूजा-अर्चना का खास महत्व होता है. अलवर में भगवान शिव के अनेकों मंदिर हैं, लेकिन इन मंदिरों में सबसे खास त्रिपोलिया महादेव मंदिर है. अलवर का त्रिपोलिया मंदिर प्रदेशभर में विशेष स्थान रखता है. वैसे तो यहां साल भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन सावन में भक्तों की भीड़ भोले बाबा के दर्शन के लिए यहां जरूर आती है.
मंदिर में प्रतिदिन विशेष श्रृंगार किया जाता है. त्रिपोलिया मंदिर का श्रृंगार उज्जैन महाकाल अन्य ज्योतिर्लिंगों के समान ही विशेष तरह का होता है. मंदिर में 300 साल से लगातार ज्योत जल रही है. श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में मांगी हुई सभी मुरादें पूरी होती है. मंदिर में सुबह 4 बजे, सुबह 6 बजे शाम 6.15 बजे, रात 11 बजे आरती होती है. यह शहर का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां पहुंचने के लिए चार मार्ग हैं. यह मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए 24 घंटे खुला रहता है. मंदिर में शिव पंचायत के अलावा दुर्गा, रामदरबार, नरसिंह भगवान हनुमान की प्रतिमा है. गोमुख से गंगा रूपी जल बहता रहता है, जिसे श्रद्धालु चरणामृत के रूप में उद्यमी प्रतिष्ठान में पूजा अर्चना में काम लेते हैं.
दिन में तीन बार रूप बदलता है शिवलिंग:नर्मदा से लाकर यहां शिवलिंग स्थापित किया गया. इसलिए इसे नर्मदेश्वर महादेव कहते हैं. मंदिर की छत पर पश्चिममुखी बलदाऊजी महाराज का मंदिर स्थित है. अलवर के अलावा आसपास के शहरों और राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग भगवान के दर्शन के लिए आते हैं. सावन के माह में सुबह से ही दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लग जाती है और रात तक यह सिलसिला जारी रहता है.