अलवर.अलवर जिला राजस्थान की औद्योगिक राजधानी के नाम से जाना जाता है. यहां 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. इसके अलावा अलवर एनसीआर का हिस्सा है और यहां पुलिस और आर्मी के ट्रेनिंग सेंटर भी हैं. पत्थर खुदाई और मार्बल सहित कई जरूरी स्टोन यहां मिलते हैं. अलवर देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है. जिले में सरिस्का नेशनल पार्क, भर्तहरि धाम और पांडुपोल हनुमान मंदिर सहित कई दर्शनीय स्थल हैं जहां साल भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है.
अलवर राजस्थान का अकेला ऐसा जिला है जहां 52 किले हैं. साथ ही रोजाना रोजगार के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं. अलवर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां भी बेहतर होती है. इसलिए आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में युवा पढ़ाई के लिए यहां आते हैं. ऐसे में लंबे समय के लॉकडाउन के चलते छह माह से जिले की हलचल भी बंद हो गई थी. लेकिन अब हालात सामान्य होने लगे हैं. जनजीवन पटरी पर आने लगा है. अलवर की औद्योगिक इकाइयां भी शुरू हो गई हैं. इनमें लोगों को रोजगार भी मिलने लगा है. अलवर के बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर भी लोगों की आवाजाही नजर आने लगी है.
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आमजन में खुशी
लंबे समय से हताश और परेशान व्यापारी दिवाली और अन्य त्योहारों का इंतजार कर रहा है. साथ ही शादियों का सीजन भी शुरू होगा. प्रशासन और सरकार की तरफ से शादियों में लोगों के आने-जाने पर छूट दी गई है. ऐसे में शादियों में फिर से रौनक लौटने की उम्मीद है. इन सबको देखते हुए बाजार में लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है. अलवर के सभी बाजारों में दिनभर भीड़ देखने को मिल रही है. बाजार में कामकाज भी अब तेजी से शुरू हो गया है.