जयपुर.प्रदेश की गहलोत सरकार के साढ़े तीन पूरे हो चुके हैं. बावजूद इसके जवाबदेही कानून लागू नहीं हो पाया है. ऐसे में अब सरकार पर सवाल उठाने लगे हैं कि ड्राफ्ट तैयार होने के बावजूद आखिर क्यों इस कानून को लागू नहीं किया जा रहा है. प्रदेश में जवाबदेही कानून लागू हो, इसको लेकर सामाजिक संगठनों की ओर से जवाबदेही यात्रा निकाली जा रही है, जो विधानसभा सत्र शुरू होने पर राजधानी जयपुर पहुंची. सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार सत्ता में आने के साथ ही जवाबदेही कानून लाने का वादा किया था. इसके लिए कमेटी बनी, ड्राफ्टिंग हो चुकी है, लेकिन सिस्टम में जिनकी जवाबदेही तय होगी वो नहीं चाहते कि जवाबदेही कानून लागू हो. इसलिए इसे को ठंडे बस्ते में डाल जा रहा (Delay in implementing accountability law) है.
मुकेश, दामोदर और कैलाशी देवी यह तीन ही नहीं बल्कि ऐसे हजारों पीड़ित हैं जो पानी, आवास, बिजली, मुआवजा सहित ऐसे मूलभूत अधिकारों के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. कर्मचारी, अफसर के पास भेज रहा है, तो अफसर कर्मचारी के पास. लेकिन जवाबदेही के साथ कोई जवाब नहीं दे रहा है. इन्ही अंतिम छोर पर बैठे आम लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए जवाबदेही कानून की मांग उठती रही (Demand of accountability law in Rajasthan) है. जवाबदेही कानून लाने की परिकल्पना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की थी. चुनावी घोषणा पत्र में भी इस कानून को लाने का वादा किया गया था. वर्ष 2019-20 और 2022- 23 के बजट भाषण में सीएम गहलोत ने सदन से इस जवाबदेही कानून को लागू करने की बात कही, लेकिन अभी भी इस बिल को लेकर किसी के पास कोई जवाब नहीं है.
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सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे कहते हैं (Nikhil Dey on accountability law) कि प्रदेश में 80 लोग नरेगा में रोजगार करते हैं. 80 लाख पेंशनर्स हैं, एक करोड़ 24 लाख राशन धारक हैं. ऐसे अनेकों सामाजिक सुरक्षाएं हैं जो लोगों से जुड़े हुई हैं. इनमें से 10 हजार 880 को पेंशन नहीं मिल रही है. हजारों मनरेगा मजदूरों की मजदूरी दूसरे खाते में चली गई. सैकड़ों सिलिकोसिस पीड़ित परिवारों को लाभ नहीं मिल रहा. लेकिन आखिर क्यों उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा, किसकी जवाबदेही है. इसी जवाबदेही को तय करने के लिए जवाबदेही कानून की जरूरत है.
जिम्मेदार नहीं चाहते कानून आए: निखिल डे ने कहा कि इसके लिए कमेटी बनी, ड्राफ्टिंग हो चुकी है, लेकिन सिस्टम में जिनकी जवाबदेही तय होगी वो नहीं चाहते कि जवाबदेही कानून लागू हो. इसलिए इसे को ठंडे बस्ते में डाल जा रहा है. सरकार की मनसा के बावजूद भी इस बिल को रोकना उन हजारों पीड़ितों के अधिकारों का हनन है जो जवाबदेही कानून से उम्मीद लगाए बैठे हैं.
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ऐसा नहीं है जवाबदेही कानून के लिए प्रयास नहीं हुए, सरकार बनने के साथ जवाबदेही कानून के लिए कमेटी बनी, जोर-शोर से बैठकों का दौर चला. एक्सपर्ट् से सुझाव लिए गए, बिल की ड्राफ्टिंग भी हो गई. लेकिन कानूनी अमली जामा साढ़े तीन साल में गहलोत सरकार में नहीं पहन पाई. निखिल डे कहते हैं अफसरशाही , नौकरशाही ने इस बिल को रोक रखा है. जबकि यह राजनीतिक कमिटमेंट है, घोषणा पत्र की घोषणा है. यह हमारा संवैधानिक अधिकार है कि हम जिस सरकारी कर्मचारी या अधिकारी को अपने काम के लिए कहते हैंं, तो वह हमारे काम के लिए जवाबदेह हो. यह तो सीधी बात है कि जो सरकार ने व्यवस्था बना रखी है, तो उसकी जवाबदेही तय हो और उसी के लिए इस बिल को लागू करना होगा.
जयपुर पहुंची जवाबदेही यात्रा: सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान की ओर से जवाबदेही कानून की मांग को लेकर चल रही द्वितीय जवाबदेही यात्रा 25 जिलों का दौरा कर जयपुर के शहीद स्मारक पर पहुंच गई है. यह यात्रा 20 दिसंबर, 2021 को शुरू हुई थी और 5 जनवरी तक चली थी. प्रथम चरण में 13 जिलों को कवर किया था, कोविड की वजह से यात्रा को कोटा में रोकना पड़ा था. यात्रा का दूसरा चरण 5 सितंबर, 2022 से कोटा से शुरू हुआ और इस बार 12 जिले कवर करते हुए यह यात्रा अब जयपुर स्थित शहीद स्मारक पहुंची. यहां पर अब जवाबदेही कानून लागू करने के लिए धरना दिया.
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निखिल डे ने कहा कि 2015-16 में एस आर अभियान द्वारा राजस्थान के सभी 33 जिलों में 100 दिन की पहली जवाबदेही यात्रा निकाली गई थी. यात्रा के दौरान अभियान में लगभग 10,000 शिकायतों का पंजीकरण किया गया, जिन्हें राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर भी डाला गया था और उनको फॉलो किया गया था. इसके बाद जयपुर में 22 दिन का जावाबदेही धरना लगाया गया. सरकार से तुरंत यह कानून पारित करने की मांग की जा रही है, ताकि लाखों लोगों के मूलभूत अधिकारों के हो रहे उल्लंघन को रोका जा सके.
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जवाबदेही कानून की विशेषताएं :
- जनता को गुड गवर्नेंस देना
- नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी
- जनता को मूलभूत सुविधाओं का हक मिलेगा
- अधिकारियों का भ्रष्ट और मनमाना आचरण रुकेगा
- बिजली, पानी, सड़क, लाइसेंस और प्रमाण-पत्र जैसी सुविधाओं का हक मिलेगा
- अंतिम व्यक्ति तक सेवाओं का समयबद्ध लाभ पहुंच सकेगा
- कोई भी कर्मचारी और अधिकारी किसी फाइल को अनावश्यक नहीं रोक सकेगा
- जवाबदेही कानून लागू होने के बाद शिकायत दर्ज करने के लिए प्रत्येक पंचायत और नगरपालिका में सहायता केंद्र स्थापित होगा
- हर शिकायत कंप्यूटर पर दर्ज होगी
- शिकायत को ट्रैक किया जाएगा
- शिकायत लोक शिकायत निवारण अधिकारी तक पहुंचेगी
- शिकायतकर्ता को शिकायत प्राप्ति की रसीद मिलेगी
- 14 दिन के भीतर शिकायतकर्ता को खुली सुनवाई में बात रखने का मौका मिलेगा
- लोक शिकायत निवारण अधिकारी को 30 दिन के भीतर लिखित में जवाब देना होगा
- यदि समस्या सही पाई गई तो बताना होगा कब तक समस्या का समाधान किया जाएगा
- यदि शिकायत अस्वीकार की जाती है तो उसका कारण बताना होगा
- जिला और राज्य स्तर पर सुनवाई के अलग-अलग प्राधिकरण होंगे