अलवर. सरिस्का 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. देश की राजधानी दिल्ली और प्रदेश की राजधानी जयपुर के बीच अलवर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर सरिस्का नेशनल पार्क है. सरिस्का के बीच से अलवर-जयपुर हाईवे निकलता है. इसके अलावा आज भी सरिस्का के घने जंगल में 10 से अधिक गांव बसे हुए हैं. जिनमें बड़ी संख्या में लोग रहते हैं. ऐसे में जंगल में लोगों का दखल रहता है और लगातार लोगों की आवाजाही बढ़ रही है. ऐसे में वन्यजीवों को परेशानी होती है और वन्यजीवों पर खतरा बना रहता है.
सरिस्का के चारों तरफ बनाई जा रही चारदीवारी आए दिन सरिस्का में घूमते हुए शिकारियों को पकड़ा जाता है और शिकार की शिकायतें मिलती है. 2005 में एक बार सरिस्का बाघ विहीन भी हो चुका है. आए दिन होने वाली परेशानियों को देखते हुए सरकार और प्रशासन ने सरिस्का की पेरीफेरी में चारदीवारी करने का फैसला लिया है. इसके तहत सरिस्का के बाहरी क्षेत्र के अलावा अंदरूनी कुछ हिस्सों में भी चारदीवारी कराई जाएगी.
पहले चरण का काम पूरा
पहले चरण में 8.5 किलोमीटर से अधिक की चारदीवारी का काम पूरा हो चुका है. इसके लिए सरिस्का प्रशासन को वन विभाग से बजट मिला था. जल्द ही अन्य काम भी शुरू हो जाएगा. इससे सरिस्का के वन्यजीव बाहरी क्षेत्र में नहीं आ सकेंगे. साथ ही ग्रामीणों के पशु भी सरिस्का में प्रवेश नहीं कर सकेंगे. इसके अलावा बाघों की मॉनिटरिंग भी बेहतर होगी और अन्य वन्यजीव भी सुरक्षित रह सकेंगे.
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सरिस्का की पेरिफेरी में चारदीवारी का काम पूरा होने के बाद सरिस्का में वन्यजीवों का कुनबा भी बढ़ सकेगा. सरिस्का के डीएफओ सेडूराम यादव ने बताया कि अलवर में साढ़े आठ किलो मीटर चारदीवारी का काम पूरा हो चुका है. इसके बाद जैसे ही बजट मिलेगा आगे का काम भी शुरू होगा. चारदीवारी का काम पूरा होने के बाद किसानों के जानवर सरिस्का में नहीं आ पाएंगे. साथ ही सरिस्का के वन्यजीव भी बाहरी क्षेत्र में खेत में नहीं घुस सकेंगे.