अलवर.केंद्रीय कारागार में सालों से सजा काट रहे 72 बंदियों को नया जीवन मिला है. राजस्थान के स्थापना दिवस के मौके पर पूरे प्रदेश भर से करीब 1300 बंदियों को रिहा किया गया. इसमें अलवर के बंदी भी शामिल हैं. सरकार की तरफ से इन लोगों को नया जीवन व गलती सुधारने का एक बड़ा मौका दिया गया है. साथ ही केंद्रीय कारागार में बंद 107 बंदियों की सजा में भी कटौती की गई है.
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अलवर केंद्रीय कारागार प्रदेश के बड़े कारागारों में से एक है. अलवर के कारागार में 1200 से अधिक बंदी बंद हैं. इसके अलावा विदेशी बंदियों की सजा पूरी होने के बाद अलवर के केंद्रीय कारागार में रखा जाता है. महिलाओं के लिए भी अलग बैरिक बनी हुई है. जिसमें गरीब 30 से अधिक महिलाएं बंद हैं. हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के कई बड़ी गैंग के बदमाश अलवर के केंद्रीय कारागार में बंद हैं. अलवर एनसीआर का हिस्सा है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा से सीमा लगती है. इसलिए हरियाणा, उत्तर प्रदेश व दिल्ली के इनामी बदमाशों को यहां बंद किया जाता है.
अलवर केंद्रीय कारागार से 72 बंदी रिहा अलवर के केंद्रीय कारागार से 72 बंदियों को रिहा किया गया. इसमें 69 उम्र कैद की सजा काट रहे बंदी हैं. जबकि तीन अन्य मामलों में सजा काट रहे बंदी शामिल हैं. जेल प्रशासन के अधिकारियों ने कहा जिन बंदियों को रिहा किया गया है वह पैरोल पर चल रहे थे. ऐसे में लगातार उनको वापस कारागार बुलाकर छोड़ने की प्रक्रिया की जा रही है. अब तक करीब 49 बंदी छोड़े जा चुके हैं. लगातार यह प्रक्रिया जारी है. जेल प्रशासन ने कहा कि जिन बंदियों का आचरण बेहतर होता है व अपनी सजा के 23 साल पूरे कर लेते हैं. उन बंदियों को सरकार की तरफ से समय-समय पर छोड़े जाने की प्रक्रिया की जाती है.
सरकार की तरफ से ऐसे बंदियों को फिर से जीवन शुरू करने का एक मौका दिया जाता है. जेल अधीक्षक संजय यादव ने कहा कि किशोर बंदियों की सजा में कमी की गई है. अधिकतम छह माह कम की गई है. साथ ही जिन बंदियों को रिहा किया गया है. उनमें से ज्यादातर बंदी पैरोल पर चल रहे थे.