अलवर.जिले में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 5 जोड़ों ने अपने विवादों को भूल एक बार फिर से साथ रहने का फैसला लिया. इससे 5 परिवार उजड़ने से बच गए. लोक अदालत के दौरान सबसे ज्यादा मामले पारिवारिक न्यायालय में आए.
जिले में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित हुई. इसके लिए 55 ब्रांच बनाई गई थी. इनमें लोगों की समस्याएं सुनी गई एवं निस्तारण किया गया. पहली बार लोक अदालत में राजस्व संबंधित मामले शामिल किए गए. इसके अलावा उपभोक्ता मंच व अन्य मामलों को भी शामिल किया गया. अलवर में कुल 21 हजार मामले रखे गए. बड़ी संख्या में मामलों का निस्तारण (Husband wife cases solved in Lok Adalat) हुआ. सबसे अहम मामले पारिवारिक न्यायालय में आए.
5 जोड़ों ने अपने विवादों को भूल एक बार फिर से साथ रहने का फैसला लिया पढ़ें:Son Kills Mother In Udaipur: पति पत्नी का झगड़ा सुलझाने आई थी मां, नशे में धुत्त बेटे ने चलाया पत्थर गई जान
अलवर की पारिवारिक न्यायालय प्रथम में 228 मामले थे. इनमें से 34 का निस्तारण हुआ. साथ ही 3 दंपतियों ने साथ रहने का फैसला लिया. इसी तरह से परिवार न्यायालय संख्या दो में कुल 82 मामले थे. इसमें 23 मामलों का निस्तारण हुआ. न्यायाधीश व अधिवक्ताओं के समझाने के बाद दो परिवारों ने अलग होने की जगह साथ रहने का फैसला लिया. ऐसे में कुल 5 परिवार उजड़ने से बच गए.
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परिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रयास किए जाते हैं कि परिवार एक रहे. पति-पत्नी के अलग होने से बच्चों को ज्यादा नुकसान होता है. बच्चों को माता-पिता दोनों की आवश्यकता होती है. ऐसे में न्यायालय की मदद से पति-पत्नियों की काउंसलिंग व उन्हें साथ रहने के लिए समझाइश भी की जाती है. लोक अदालत में पहली बार आए राजस्व संबंधित मामलों का दोनों पक्षों के सामने समाधान किया गया.