अजमेर.दुनिया में कई लोगों के पास पैगम्बर मोहम्मद साहब के मुए मुबारक (सिर का बाल) हैं. इनमें से एक मुए मुबारक अजमेर की कचहरी रोड स्थित मस्जिद में भी है. खास बात यह है कि मस्जिद में मुए मुबारक आने के बाद से ही कचहरी रोड मस्जिद का नाम मस्जिद मुए मुबारक के नाम से जाने जानी लगी है. बारावफात के बाद आने वाले जुमे से मस्जिद में मुए मुबारक की जियारत करवाई जा रही (ziyarat of Mu A Mubarak Masjid in Ajmer) है. जियारत के लिए बड़ी संख्या में अकीदतमंद उमड़ रहे हैं.
पैगम्बर मोहम्मद साहब के मुए मुबारक को लेकर लोगों में गहरी आस्था है. देश और दुनिया में कई लोगों के पास मुए मुबारक है, जो उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी हासिल हुए हैं. अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में अकबरी मस्जिद में भी मुए मुबारक है. वहीं दरगाह में ही हुजरा नम्बर छह में भी फकरू मियां के पास मुए मुबारक है. इसी तरह कलेक्ट्रेट परिसर के पीछे कचहरी रोड स्थित मस्जिद में भी पैगंबर मोहम्मद साहब के मुए मुबारक मौजूद है. साथ ही अहलेबेत (खानदान) का मुए मुबारक भी मस्जिद में है. 28 मार्च, 2008 को हैदराबाद निवासी अब्दुल रशीद नक्शबंदी ने मुए मुबारक भेंट किया था.
पढ़ें:अजमेर मुए मुबारक मस्जिद में मुए मुबारक की कराई गई जियारत
दरगाह में सज्जादानशीन सैयद गयासुद्दीन चिश्ती बताते हैं कि अब्दुल रशीद नक्शबंदी अजमेर आए थे. तब उनसे आग्रह किया गया था कि उनके पास मौजूद पैगंबर मोहम्मद साहब के अनेक मुए मुबारक में से एक मस्जिद को भेंट करें. 2008 में वह खुद अजमेर आए और मस्जिद में मुआयना करने के बाद उन्होंने मुए मुबारक भेंट किया. तब पहली बार अजमेर में लोगों ने मुए मुबारक की मस्जिद में जियारत की थी. तब से मस्जिद का नया नाम मुए मुबारक हो गया. चिश्ती बताते हैं कि लोगों में विश्वास है कि मस्जिद में नमाज अदा करने से उनकी दुआएं कबूल होती हैं.