अजमेर.रक्तदान के लिए सरकार और गैर सरकारी संस्थाएं जागरुकता अभियान चलाती हैं. कुछ लोग हालातों में तो कुछ अपनों के प्राण संकट के चलते रक्तदान करते हैं. लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रो में ही नहीं शहरी क्षेत्रों में बढ़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनको रक्तदान करने को लेकर कई भ्रांतियां हैं. ऐसे लोगों को उन रक्तवीर को बारे में जान लेना चाहिए जिन्होंने दर्जनों बार रक्तदान किया है और आज भी वे स्वस्थ जिंदगी जी रहे हैं. ऐसे रक्तदाताओं में अजमेर के समाज सेवी सोमरत्न आर्य का नाम भी है. आर्य 74 बार रक्तदान कर चुके हैं और 68 वर्ष की आयु में भी पूरी तरह स्वस्थ हैं. ईटीवी भारत ने रिकॉर्ड रक्तदान करने वाले सोमरत्न आर्य से की खास बातचीत...
ईटीवी भारत ने वर्ल्ड ब्लड डोनर डे पर अजमेर में रिकॉर्ड रक्तदान करने वाले रक्तवीर सोमरत्न आर्य से खास बातचीत की. आर्य भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन सियासी पहचान से ज्यादा उनकी पहचान समाज सेवी के रूप में है. आर्य कई सामाजिक संगठन से जुड़कर सेवा कार्यो में तत्पर रहते हैं. वे आर्य समाज से भी जुड़े हैं. आर्य ने बताया कि 26 वर्ष की उम्र से रक्तदान करते रहे हैं. वे वर्ष में 3 से 4 बार रक्तदान करते थे. 65 वर्ष की आयु होने से पहले तक वह 74 बार रक्तदान कर चुके हैं. जिसका रिकॉर्ड जेएलएन अस्पताल के ब्लड बैंक के पास मौजूद है.
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बड़े भाई के लिए किया रक्तदान, लेकिन रक्त नहीं आया काम:आर्य ने बताया कि 1990 में 26 वर्ष की आयु में पहली बार अपने बड़े भाई के लिए रक्तदान किया था. लेकिन उनका रक्त भाई को काम नहीं आ सका. मुम्बई में उनके बड़े भाई का हार्ट का ऑपरेशन हुआ था. उन्हें 9 यूनिट ब्लड की आवश्यकता थी. रिश्तेदार और परिचित रक्त देने के लिए तैयार हो गए और रक्तदातों के नाम की सूची तैयार की गई. इसमें उनका नाम भी शामिल था.
जब उनके रक्त देने की बारी आई तो उनके शरीर से 300 एमएल रक्त निकाला जाना था, लेकिन 100 एमएल रक्त शरीर के बाहर आने के बाद उन्हें चक्कर आने लगे. उनके शरीर से रक्त निकालना बंद हो गया. चिकित्सकों ने कहा कि यह रक्त अब काम नहीं आ सकता है, इसे फेंकना पड़ेगा. आर्य बताते हैं कि चिकित्सक की यह बात उन्हें चुभ गई और तब से ही उन्होंने ठान लिया कि वह खुद को रक्तदाता के रूप में तैयार करेंगे. अजमेर आकर वह कई समाज सेवी संस्थाओं से जुड़े और वर्ष में 3 से 4 बार रक्तदान करने (How many times one can donate blood) लगे. 65 वर्ष की आयु तक उन्होंने रक्तदान किया. इसके बाद चिकित्सकों ने उन्हें रक्त देने से मना किया है.