अजमेर. मकर संक्रांति के त्योहार को देखते हुए शुद्ध के लिए युद्ध अभियान शुरू किया जा रहा है. अभियान के तहत तिल से बने खाद्य उत्पादों में मिलावट पर विशेष नजर रखी जाएगी. अजमेर जिला खाद्य सुरक्षा विभाग ने अभियान को लेकर कमर कस ली है. अभियान के लिए विभाग ने जिले में टीमें गठित की है. मकर संक्रांति में तिल का विशेष महत्व है. तिल को सर्दी का मेवा भी कहा जाता है.
अजमेर में 4 जनवरी से शुरू होगा शुद्ध के लिए युद्ध अभियान मकर संक्रांति के पर्व को देखते हुए तिल से बने कई खाद्य उत्पाद बाजारों में है. इनमें गजक, रेवड़ी सहित विभिन्न प्रकार के तिल की मिठाइयां और लड्डू भी उपलब्ध है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाजार से जो तिल के खाद्य उत्पाद आप खरीद रहे हैं, उन में मिलावट भी हो सकती है. खाद्य उत्पादों में मिलावट होने से खाने वाले के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. अजमेर शहर में तिल के खाद्य पदार्थों को बनाने वाली कई छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं.
सर्दी और मकर संक्रांति को देखते हुए तिल से बने खाद्य पदार्थ बनाए जा रहे हैं. मकर संक्रांति पर तिल से बने खाद्य उत्पादों की जमकर खरीदारी होती है. जिला खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी अजय कुमार ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर मकर संक्रांति को देखते हुए शुद्ध के लिए युद्ध अभियान 4 जनवरी से 14 जनवरी तक चलाया जाएगा. इसके तहत तिल से बने खाद्य उत्पादों की जांच की जाएगी.
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कार्रवाई के लिए विभिन्न प्रतिष्ठानों और फैक्ट्रियों से जन से बने खाद्य उत्पादों की सैंपल भी लिए जाएंगे. सैंपल को प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाएगा. इसमें यदि कोई मिलावट पाई जाती है, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि दिवाली सीजन में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाया गया था. 140 नमूने जांच के लिए दिए थे, जिनकी रिपोर्ट प्रयोगशाला से आ गई है. करीब 36 जांच के नमूनों में मिलावट पाई गई है. संबंधित लोगों के खिलाफ विभाग की ओर से न्यायालय में जल्द ही चालान पेश किया जाएगा. उन्होंने बताया कि शुद्ध के लिए युद्ध अभियान 28 से 30 दिसंबर तक भी चलाया गया था, जिसमें 11 जांच के नमूने लिए गए हैं.