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वंदना के जज्बे की कहानी : पैरों से लाचार हुई तो हाथों के हुनर से भरी हौसलों की उड़ान - राजस्थान लेटेस्ट न्यूज

अजमेर की वंदना उन सब के लिए नजीर हैं, जो विपरीत परिस्थितियों के सामने घुटने टेक देते हैं. बचपन में एक घोर लापरवाही से कमर से नीचे असशक्त हो चुकी वंदना ने हार मानने के बजाय विषम हालात को ही अपना गुरु बना लिया. इस दिव्यांग युवती ने ब्रश थाम कैनवास के साथ ही अपनी जिंदगी में भी रंग भरने शुरू किए तो लोग उनका हौसला और हुनर देखकर दंग हैं.

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अजमेर की दिव्यांग वंदना चतुर्वेदी बनी मिसाल

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Published : Feb 25, 2021, 3:35 PM IST

अजमेर.जिंदगी एक संघर्ष की कहानी है लेकिन उसका सिकंदर वही होता है, जो सारी बाधाओं और कमियों के बावजूद हौसले से इससे लड़ने का माद्दा रखता हो. ऐसी ही एक संघर्ष की कहानी है अजमेर के आम का तालाब में रहनेवाली 32 साल की वंदना की. पोलियों ने जब वंदना को कमर से नीचे असक्षम कर दिया तो हार मानने के बजाय वो हौसलों से उठी और हाथ में उन्होंने स्केच और पेंट ब्रश थाम लिया. आज कैनवास पर जब वो पेंट करती हैं तो बड़े से बड़ा कलाकार उनकी पेंटिंग देख दांतो तले अंगुली दबा लेता है.

अजमेर की दिव्यांग वंदना चतुर्वेदी बनी मिसाल

बिहार के खरोली गांव में नानी घर वंदना का 32 साल पहले जन्म हुआ लेकिन लापरवाही में पोलियों की एक्सपायर दवा के कारण वंदना के कमर के नीचे का शरीर पोलियों ग्रस्त है. पैरों से लाचार होने के बावजूद कुदरत ने उसके हाथों में गजब का हुनर दिया है. आश्चर्य की बात है कि वंदना चतुर्वेदी कभी स्कूल नहीं गई हैं और नहीं उन्होंने पेंटिंग और स्केच बनाने के कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली है लेकिन उनकी पेंटिंग बड़े-बड़े चित्रकारों को मात देती है.

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पैरों से लाचार होने के बावजूद वंदना ने जीवन से संघर्ष को नहीं छोड़ा. उन्होंने ठाना कि वो बोझ नहीं बनेगी और वो आत्मनिर्भर बनेगी. जिसके बाद उन्होंने ब्रश थाम कैनवास के साथ ही अपनी जिंदगी में भी रंग भरने शुरू कर दिए. उन्होंने 8 बरस पहले कागज पर स्केच बनाना शुरू किया. धीरे-धीरे वंदना ने मेहनत और अभ्यास से हूबहू स्केच बनाने लग गई.

बिना स्कूल गए और प्रशिक्षण के बनाती हैं शानदार तस्वीर

स्केच बनाते हुए वंदना

वंदना के पिता बताते हैं कि घर पर छोटे भाई-बहनों को पढ़ता देख उसने भी घर पर ही पढ़ाई की. वंदना के भाई-बहन सब अपने पैरों पर खड़े हो चुके है. उन्हें देख वंदना ने भी उठने की ठान कर कैनवास पर स्केच बनाने लगी. प्रशिक्षण के बिना अपनी प्रतिभा को अपनी मेहनत से वंदना तराश रही है.

सचिन पायलट का स्केच बनाकर किया भेंट

सलमान खान और पायलट की स्केच

अजमेर की इस बेटी ने कई राजनेता खिलाड़ी और बॉलीवुड स्टार्स के शानदार स्केच बनाए हैं. वंदना बताती है कि इंस्टाग्राम पर वह अपने बनाए स्केच पोस्ट करती है. लोग बनाए स्केच को पसंद करते हैं तो कुछ लोगों ने अपने स्केच बनाने के लिए उसे से आर्डर भी दिए.

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वंदना पूर्व पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट का स्केच बनाकर उन्हें भेंट कर चुकी है. वंदना के पास बनाए गए स्केच का दर्जनों कलेक्शन हैं. वह सोशल मीडिया के माध्यम से अपने हुनर को पहचान देने की कोशिश कर रही है.

मोदी को उनकी स्केच भेंट करने की इच्छा

नरेंद्र मोदी की स्केच

इस बार वंदना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आकर्षक स्केच बनाया है जिसे पीएम नरेंद्र मोदी के इंस्टाग्राम पर पोस्ट भी किया है लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया. वंदना चाहती है कि मोदी उनके बनाए गए स्केच को देखें. उसकी इच्छा है कि वह पीएम मोदी को उनका स्केच भेंट कर सके.

बस अब एक अवसर की तलाश

स्थानीय स्तर पर उसे माता पिता के सहयोग के अलावा और कोई मदद नहीं मिली है. इसके बावजूद खुद को साबित करने की जिद ने वंदना को कलाकार की श्रेणी में ला दिया है. वंदना का जीवन खुद उसके लिए शिक्षा और विषम हालात उसके लिए गुरु बन गए है. कड़ी मेहनत से वंदना की कला में दिनों दिन निखर आ गया है. वंदना को एक अवसर की तलाश है, उसने ठान लिया है कि वह इस दिशा में ही आगे बढ़ेगी.

'थक कर बैठ गया हूं, अभी हारा नहीं हूं मैं, मुझ पर तरस मत खाओ कोई बेचारा नहीं हूं मैं' वंदना के जीवन संघर्ष पर एक कवि की यह पंक्तिया सटीक बैठती है. वंदना कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती लेकिन उसने अपने को हाथों पर खड़ा होने की जिद है. वंदना के हौसले को सलाम है.

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