अजमेर. विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के बड़े साहेब जादे हजरत ख्वाजा फखरूद्दीन चिश्ती का सालाना उर्स 14 मार्च को झंडे की रस्म से शुरू हुआ. सरवाड़ शरीफ दरगाह में सालाना उर्स का झंडा बाबे अब्दुल मन्नान बुलंद दरवाजे पर पेश किया गया. 101 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर मुंबई के पीर अब्दुल मन्नान शेख ने अकीदतमंदों के साथ झंडे की रस्म अदा की. इस मौके पर देश में शांति और भारत से कोरोना महामारी के खात्मे के लिए भी विशेष दुआ हुई.
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सूफी, कलंदर, पीर, फ़खीर और अकीदतमंदों ने झंडे की परंपरा को बरकरार रखते हुए जुलुस निकाला. इसमें सूफियाना कव्वालियों और मलंगों के हैरतअंगेज कारनामें देखे गए. झंडे की रस्म में स्थानीय लोगो के अलावा देश के विभिन्न राज्यों से आए जायरीनों ने भी शिरकत की और बाबा फखर की बारगाह में मन्नतें कर दुआ मांगी.
अजमेर के सरवाड़ शरीफ में उर्स का आगाज गौरतलब है कि 23 मार्च तक चलने वाले इस उर्स मुबारक में देशभर से भारी संख्या में जायरीन शिरकत करेंगे. दरगाह के मुतवल्ली हाजी मोहम्मद यूसुफ खान के मुताबिक 15 मार्च से 23 मार्च तक उर्स मनाया जाएगा. 20 मार्च को शाही महफिल के साथ कुल की रस्म अदा की जाएगी, जबकि बड़े कुल की रस्म 23 मार्च को खास-ओ-आम जायरीन गुलाब जल, केवड़े और इत्र से दरगाह परिसर को महका कर अदा करेंगे.
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जिला प्रशासन और पुलिस के माकूल इंतजाम किए जाएंगे और कोविड 19 गाइडलाइन के मुताबिक तमाम उर्स की रस्म अदा की जाएगी. बाबा फखर के उर्स में हजारों जायरीन अजमेर से सरवाड़ तक पैदल सफर करते हैं और अपने मुताबिक अकीदतमंदों के लिए जगह-जगह लंगर का भी आयोजन करते हैं.