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SPECIAL : ख्वाजा के वफादार : उर्स में हजारों जायरीन को भोजन करा रहा यह दल....145 सदस्यों के बैज पर लिखा 'ख्वाजा का कुत्ता' - अजमेर में ख्वाजा साहब का उर्स

उर्स में यूं तो कई अकीदतमंद ने लंगर चला रखे हैं, लेकिन देहली गेट के बाहर एक पार्किंग स्थल पर गुजरात के राजकोट जिले के खानकाह पंजतन, पिराणी आश्रम जैतपुर से आए बाबा सलाउद्दीन कलन्दर की ओर से चल रहा लंगर मिसाल बनता जा रहा है. इसमें बाबा के शिष्य जायरीन को दाल और चावल का लंगर परोस रहे हैं.

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25 साल से लंगर चला रहे हैं ख्वाजा के वफादार

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Published : Feb 17, 2021, 7:28 PM IST

अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज की चौखट पर आने वाले मुरीदों में से एक इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं. वे खुद को गरीब नवाज का कुत्ता बताकर उर्स में शिरकत करने आए जायरीन को मुफ्त लंगर खिला रहे हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट

25 साल से लंगर चला रहे हैं ख्वाजा के वफादार

उर्स में यूं तो कई अकीदतमंद ने लंगर चला रखे हैं, लेकिन देहली गेट के बाहर एक पार्किंग स्थल पर गुजरात के राजकोट जिले के खानकाह पंजतन, पिराणी आश्रम जैतपुर से आए बाबा सलाउद्दीन कलन्दर की ओर से चल रहा लंगर मिसाल बनता जा रहा है. इसमें बाबा के शिष्य जायरीन को दाल और चावल का लंगर परोस रहे हैं.

बाबा सलाउद्दीन कलन्दर के शिष्य

लंगर चलाने वाले दल के सदस्य मोइन ने बताया कि चांद रात से गरीब नवाज की छठी तक यह लंगर संचालित किया जा रहा है. लंगर में रोजाना हजारों लोग भोजन कर रहे हैं. हर मजहब के लोग इस लंगर में दो वक्त भोजन कर रहे हैं. इस दर पर आया कोई जायरीन यहां से भूखा नहीं जाता.

लंगर में हजारों जायरीन पाते हैं भोजन

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लंगर में बड़े अदब और एतराम से सभी को भोजन करवाया जाता है. मोइन ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें बड़ा सुकून मिलता है कि वे ख्वाजा गरीब नवाज के दर से किसी भी व्यक्ति को भूखा नही जाने देते.

हजारों लोगों के लिए बनता है दाल चावल का लंगर

दल में शामिल हैं 145 लोग

राजकोट से आए इस 145 सदस्यीय दल में हर उम्र के सेवादार हैं. सभी एक कतार में खड़े होकर लोगों को भोजन करवाते हैं. सुबह से ही लंगर शुरू हो जाता है जो रात तक लगातार जारी रहता है. छोटे-छोटे बच्चे भी लंगर के लिए लोगों को आवाज लगाते हैं.

बैज पर लिखा है - ख्वाजा का कुत्ता

इसलिए रखा नाम ख्वाजा का कुत्ता

लंगर चलाने वाले इन सदस्यों ने अपने सीने पर जो बैज लगा रखा था, उस पर ख्वाजा का कुत्ता लिखा है. उन्होंने बताया कि खुद को ख्वाजा साहब का कुत्ता कहलवाना हमारे लिए फख्र की बात है. ख्वाजा साहब के लिए वफादारी निभाते हुए वे अपने आपको कुत्ता कहलाना पसंद करते हैं. मोइन ने बताया कि इंसान दगाबाजी कर सकता है लेकिन कुत्ता वफादार होता है.

बाबा सलाउद्दीन कलन्दर के शिष्य मोइन

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मोइन का कहना है कि हमारी वो हैसियत नहीं कि हम आपने आपको गरीब नवाज का गुलाम कहें. इसलिए हम आपने आपको उनका कुत्ता मानते हैं. हमारी औकात इतनी ही है कि इस दर का भिखारी कहलाएं या कुत्ता. गरीबों को नवाजने वाले ख्वाजा गरीब नवाज की शान सबसे निराली है.

ख्वाजा साहब की दरगाह में उर्स की रोशनाई

हजारों लोग रोजाना लंगर में करते हैं भोजन

इस लंगर में रोजाना हजारों लोग भोजन करते हैं. लोगों को बुला-बुलाकर बड़े प्यार से लंगर खिलाया जाता है. देशभर से आए जायरीन इस लंगर को ख्वाजा साहब का तबर्रूख मानकर ग्रहण कर रहे हैं. पिछले सात साल से हर उर्स में यह लंगर संचालित किया जा रहा है. इसके लिए कभी भी आर्थिक तंगी पेश नहीं आई. गरीब नवाज के करम से अपने आप ही बंदोबस्त हो जाता है.

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