अजमेर. महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती को पूरा देश जयंती वर्ष मना रहा है. वहीं जिले में स्थित गांधी के स्मारकों में गांधी भवन प्रसिद्ध स्मारक है. ये अजमेर के मुख्य गांधी भवन चौराहा से प्रसिद्ध है. गांधी भवन 125 साल पहले ट्रैवर टाउन हॉल के नाम से बनवाया गया था.
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जानकारों के अनुसार 1895 ई. से 1900 ई. के बीच अजमेर मेरवाड़ा के चीफ कमिश्नर जीएच ट्रेवर की याद में गांधी भवन का निर्माण करवाया गया था. उस वक्त उसका नाम ट्रैवर टाउन हॉल रखा गया था. 1905 में पुरातत्वविद गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने विक्टोरिया हॉल पुस्तकालय नाम से पुस्तकालय की स्थापना की. वहीं आजादी के बाद इसका नाम गांधी भवन पुस्तकालय रखा गया.
प्रदेश के 88 दानदाताओं ने धन इकट्ठा करके गांधी भवन का निर्माण करवाया था. गांधी भवन निर्माण के वक्त 5 रुपए की भी बहुत कीमत थी. क्योंकि गांधी भवन के लिए चंदा देने वालों की सूची में 5 रुपए का चंदा देने वालों के भी नाम हैं. उस वक्त बीस हजार की रकम इकट्ठा करके गांधी भवन का निर्माण किया गया था.
88 दानदाताओं ने बनवाया था अजमेर का गांधी भवन गांधी भवन के लिए सर्वाधिक 3 हजार रुपए दो महाराजाओं ने दिए. जिनमें उदयपुर के महाराणा और जोधपुर के तत्कालीन शासकों के नाम शामिल हैं. अलवर और बीकानेर के तत्कालीन शासकों ने भी 15-15 सौ रुपए का दान दिया था. साथ ही जैसलमेर के शासक ने 1 हजार और किशनगढ़ के शासक ने 5 सौ रुपए दिए थे. कुल 88 लोगों के सहयोग से इसका निर्माण हुआ था.