अजमेर.जिले में सूर्यग्रहण के चलते मंदिरों में भगवान तालों में रहे. वहीं ग्रहण के दोष से बचने के लिए लोग यज्ञ और दान पुण्य करते नजर आए. बुधवार रात से ही ग्रहण को देखते हुए मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए. जिसके बाद गुरुवार को ग्रहण समाप्त होने के बाद 11 बजे मंदिरों के कपाट खोले गए.
सूर्यग्रहण के बाद पूजापाठ का दौर शहर के प्राचीन पंचमुखी बालाजी मंदिर परिसर में कई लोगों ने सूर्यग्रहण के दोष से बचने के लिए यज्ञ का आयोजन किया. जिसमें विधि-विधान से लोगों ने आहुति दी. साथ ही लोगों ने भगवान सूर्य से अपने और परिवार की खुशहाली की कामना की. सुबह 11 बजे के बाद मंदिरों के कपाट खोले गए और साफ-सफाई की गई. पंचमुखी हनुमान मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर के पुजारी पंडित प्रकाश चंद्र शर्मा ने बताया, कि ग्रहण का राशियों पर अच्छा और बुरा प्रभाव पड़ता है. इनके निवारण के लिए यज्ञ और दान पुण्य किया जाता है.
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धार्मिक मान्यताओं पर विश्वास रखने वाले लोगों का कहना है, कि सूर्यग्रहण के चलते परिवार के साथ यज्ञ करने से भगवान सूर्य से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और ग्रहण का दोष समाप्त होता है. लोगों का मानना है, कि भगवान सूर्य की वजह से संसार में प्रकाश व्याप्त है. ऐसे में यज्ञ से लोगों की कामनाएं पूर्ण होती हैं और लोगों के जीवन से अंधकार मिट जाता है. लोगों का जीवन प्रकाशमान होता है. सूर्यग्रहण के बाद से मंदिरों के कपाट खुल चुके हैं. वहीं मंदिरों की साफ-सफाई कर सेवा-पूजा शुरू हो गई है.
सूर्यग्रहण को लेकर मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण को अमृत वितरण की घटना से जोड़कर देखा जाता है. बताया जाता है, कि समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर जब देवता और दानवों में विवाद हुआ, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धर के देवताओं को अमृत का सेवन करवाया. इस दौरान राहु, सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर बैठ गया. उसने कुछ अमृत का सेवन कर लिया लेकिन वह अमृत का सेवन जैसे ही कर रहा था. उस दौरान देवताओं ने उसे पहचान दिया. तब से राहु, सूर्य और चंद्रमा का दुश्मन माना जाता है और साल में एक बार सूर्य और चंद्रमा के बीच जरूर आता है. यह तो रही धार्मिक मान्यताओं की बात लेकिन विज्ञान के युग में इसे एक खगोलीय घटना माना जाता है.