राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

Teja Dashami 2022 : अजमेर में लोक देवता वीर तेजाजी के थानकों पर लगे मेले, श्रद्धालुओं का लगा रहा तांता - Teja Dashami celebration in Ajmer

अजमेर में वीर तेजाजी महाराज की दशमी धूमधाम से मनाई (Teja Dashami celebration in Ajmer) गई. तेजाजी के थानकों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. लोगों ने पूजा अर्चना कर अपनी व परिवार के स्वास्थ्य की प्रार्थना की. सुरसुरा गांव स्थित वीर तेजाजी निर्वाण स्थली पर नागौर सांसद व आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल हेलीकॉप्टर से पहुंचे. उन्होंने हेलीकॉप्टर से मन्दिर पर पुष्प वर्षा भी की.

Teja Dashami celebration in Ajmer, devotees pray for good health
Teja Dashami 2022: अजमेर में लोक देवता वीर तेजाजी के थानकों पर लगे मेले, श्रद्धालुओं का लगा रहा तांता

By

Published : Sep 5, 2022, 7:47 PM IST

Updated : Sep 5, 2022, 10:42 PM IST

अजमेर. सोमवार को शहर में आस्था और श्रद्धा के साथ लोक देवता वीर तेजाजी महाराज की दशमी मनाई (Teja Dashami celebration in Ajmer) गई. सुबह से ही तेजाजी के थानकों पर मेले जैसा माहौल बना हुआ है. प्रदेश में लोक देवता वीर तेजाजी में जन-जन की आस्था है. तेजा दशमी के पर्व जिले में तेजाजी के मुख्य थानकों पर दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. श्रद्धालु अपनी श्रद्धा अनुसार पूजा अर्चना कर वीर तेजाजी को भोग अर्पित करते नजर आए. कई लोग घर से ही चूरमा बना कर लाए, तो कुछ ने नारियल एवं मिष्ठान का भोग लगाया.

अजमेर में रूपनगढ़ कस्बे के निकट सुरसुरा गांव में वीर तेजाजी की निर्वाण स्थली है. शहर में ऊसरी गेट और गुलाब बड़ी स्थित वीर तेजाजी की देवली प्रमुख थानक है. जहां हर वर्ष वीर तेजाजी की दशमी पर पारंपरिक मेला भरता है. दोनों ही प्रमुख थानकों पर सुबह से लेकर देर रात तक 2 से 3 लाख श्रद्धालुओं का दर्शन के लिए आना-जाना लगा रहता है.. वहीं सुरसुरा गांव में तेजाजी के मंदिर में लाखों लोग दर्शनों के लिए आते हैं. मान्यता है कि वीर तेजाजी के थानक पर मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है.

सुरसुरा गांव में उमड़ा जन सैलाबःसुरसुरा गांव स्थित वीर तेजाजी निर्वाण स्थली पर सोमवार को तेजा दशमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु और राजनेता दर्शनों के लिए उमड़े. नागौर सांसद व आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल हेलीकॉप्टर से वीर तेजा जी धाम पहुंचे और आशीर्वाद लिया. इससे पूर्व बेनीवाल ने हेलीकॉप्टर से मन्दिर पर पुष्प वर्षा की. बेनीवाल के साथ पूर्व समाजसेवी जिला प्रमुख प्रतिनिधि भवर सिंह पलाड़ा ने भी तेजाजी मन्दिर में दर्शन कर आशीर्वाद लिया. अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी, किशनगढ़ विधायक सुरेश टांक भी सुरसुरा तेजाजी मन्दिर पहुंचे.

पढ़ें:तेजा दशमी और बाबा रामदेव जयंती आज

ऊसरी गेट स्थित वीर तेजाजी मंदिर समिति के पदाधिकारी राजेंद्र गहलोत ने बताया कि तेजा दशमी पर परंपरागत मेले का आयोजन 150 वर्ष से भी अधिक समय से हो रहा है. यहां सर्पदंश वाले व्यक्ति को पाती गले में पहनने के लिए डोर दी जाती है. माना जाता है कि इससे शरीर का सारा जहर बेअसर हो जाता है. बारिश के मौसम में जहरीले कीड़े काटने का असर भी व्यक्ति पर नहीं रहता है. यहां लोग अपने और परिवार के स्वास्थ के लिए मन्नत मांगते हैं. लोगों का विश्वास है कि वीर तेजाजी उनकी मन्नत जरूर पूरी करेंगे.

पीढ़ी दर पीढ़ी मेला आयोजन की परंपरा:गुलाब बाड़ी स्थित वीर तेजाजी के थानक पर भी श्रद्धालुओं की सुबह से ही भीड़ उमड़ रही है. फूल माली पंचायत मंदिर समिति के पदाधिकारी गिरधारी लाल सांखला बताते हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी मेला आयोजन की परंपरा रही है. तेजा दशमी पर 1 लाख से भी अधिक श्रद्धालु सुबह से लेकर देर रात तक दर्शनों के लिए मंदिर आते हैं. यहां हर जाति, समाज के लोग मंदिर दर्शनों के लिए आते हैं. समिति के अध्यक्ष सुंदर सिंह टांक ने बताया कि वीर तेजाजी के थानक की मान्यता है कि यहां किसी भी प्रकार की बीमारी, कष्ट और जहरीले सांप-कीड़ों के काटने से होने वाले घातक असर यहां बेअसर हो जाते हैं.

पढ़ें:पीपल्दा के लोकदेवता वीर तेजाजी की तेजा दशमी का है विशेष महत्व

इसलिए मनाई जाती है तेजा दशमीः लोक देवता वीर तेजाजी का जन्म नागौर के खडनाल गांव में ताहरजी और राम कुमारी के घर संवत 1130 यानी 29 जनवरी, 1074 को हुआ था. तेजाजी बचपन से ही साहसी और अवतारी पुरुष थे. उनके साहसिक कारनामों से लोग आश्चर्यचकित रह जाते थे. एक बार तेजाजी अपनी बहन पेमल को लेने के लिए उनके ससुराल गए. वहां मेणा नाम के डाकू का गिरोह पेमल के घर की सारी गायों को लूट कर ले गया. वीर तेजाजी अपने साथी के साथ जंगल में मेणा डाकू से गायों को छुड़ाने के लिए गए. रास्ते में एक बांबी के पास भाषक नाम का सर्प वीर तेजाजी के घोड़े के सामने आ गया और तेजाजी को डसना चाहता था.

वीर तेजाजी उसे रास्ते से हटने के लिए कहते हैं. लेकिन भाषक सर्प उनका रास्ता नहीं छोड़ता. तब तेजाजी उसे वचन देते हैं कि मेणा डाकू से अपनी बहन की गायों को छुड़ाने के बाद मैं वापस यहीं आऊंगा तब तुम मुझे डस लेना. भाषक सर्प तेजाजी के वचन पर विश्वास कर उनका मार्ग छोड़ देता है. जंगल में डाकू मेणा और उसके साथियों के साथ वीर तेजाजी का भयंकर युद्ध हुआ. डाकू मेणा और उसके साथियों का अंत करने के बाद वीर तेजाजी गायों को अपने साथी के साथ बहन पेमल के घर के लिए रवाना कर देते हैं. वचन निभाने के लिए वीर तेजाजी भाषक सर्प की बांबी के समक्ष पहुंचे.

पढ़ें:तेजा दशमी के मौके पर मेले का आयोजन, हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

मेणा डाकू के साथ हुए युद्ध में वीर तेजाजी का पूरा शरीर घायल हो गया था. भाषक सर्प ने तेजाजी से कहा कि पूरा शरीर जख्मी हो चुका है, मैं कहां दंश मारू. तब वीर तेजाजी ने कहा कि मेरी जीभ सुरक्षित है, तुम यहां दंश मारो. वीर तेजाजी की वचनबद्धता से भाषक सर्प ने खुश होकर आशीर्वाद देते हुए कहा कि भाद्रपद शुक्ल दशमी को पृथ्वी पर कोई भी प्राणी सर्पदंश से पीड़ित होगा, उसे तुम्हारे नाम की ताती बांधने पर जहर का कोई असर नहीं होगा. इसके बाद भाषक सर्प तेजाजी के घोड़े के पिछले पैरों से चढ़ा और उनकी जीभ पर दंश मारा. उस दिन से ही तेजा दशमी का पर्व मनाने की परंपरा है.

Last Updated : Sep 5, 2022, 10:42 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details