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अजमेरः बीएलओ ड्यूटी से परेशान शिक्षकों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन...बोले- अब तो सबको कर दो सस्पेंड

जिला मुख्यालय पर लामबंद हुए शिक्षकों ने बीएलओ में ड्यूटी लगाए जाने को लेकर जमकर हंगामा किया. इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि बीएलओ के कार्य में उन्हें भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है और बीएलओ में ड्यूटी लगने के कारण शिक्षा प्रणाली भी प्रभावित हो रही है.

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Published : Oct 7, 2019, 7:37 PM IST

अजमेर. जिला मुख्यालय पर लामबंद हुए शिक्षकों ने बीएलओ में ड्यूटी लगाए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए जमकर प्रदर्शन किया. शिक्षकों का कहना है कि विद्यालयों में शिक्षण कार्य बाधित हो रहे हैं. वहीं, बीएलओ के कार्य में भी उन्हें भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं. परेशान शिक्षक सस्पेंड किए जाने को भी तैयार हैं. इस दौरान शिक्षकों ने मांग की है कि उन्हें बीएलओ ड्यूटी से हटाया जाए.

मतदाता पुनरीक्षण और मतदाता सत्यापन कार्य में ड्यूटी लगाए जाने से शिक्षण कार्य पूरी तरह बाधित हो रहा हैं. हालात यह हैं कि एक ही विद्यालय से 90% शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी पर लगाया गया है. कहीं कहीं तो प्रधानाध्यापक सहित पूरे स्टाफ को ही ड्यूटी पर लगा दिया गया है.

शिक्षको का जिला कलेक्ट्रट पर प्रदर्शन

बता दें कि शिक्षकों को मतदाताओं के घर जाकर एंड्राइड मोबाइल से बीएलओ ऐप सत्यापन करने का प्रतिदिन का टारगेट दिया गया है. इस कार्य में शिक्षकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, शिक्षकों का कहना है कि बीएलओ ऐप का नेटवर्क कमजोर होने और एंड्राइड मोबाइल उचित क्षमता वाला नहीं होने के साथ ही मतदाताओं का सहयोग नहीं मिल पाने से उनका टारगेट पूरा नहीं हो पा रहा है, इस वजह से उन्हें कारण बताओ नोटिस या उनका निलंबन किया जा रहा है.

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साथ ही शिक्षकों का कहना है कि बीएलओ की ड्यूटी दे रहे सभी शिक्षक मानसिक तनाव में हैं. शिक्षकों ने 2 सूत्रीय मांग रखी हैं जिसमें शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षकों को कम से कम बीएलओ ड्यूटी में लगाने और मतदाता सत्यापन के कार्य में बीएलओ मतदाता के आवश्यक दस्तावेज एकत्रित कर कार्यालय में जमा करवाने और सत्यापन निर्वाचक अधिकारी अपने कार्यालय में कंप्यूटर की उचित व्यवस्था करवाने की मांग की है.

वहीं, जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन के बाद शिक्षकों को पुलिस ने भीतर नहीं जाने दिया. दरअसल, किसी भी तरह के प्रदर्शन से पहले जिला कलेक्ट्रेट का मुख्य द्वार बंद करने की यहां परंपरा बन गई है. लिहाजा शिक्षक मुख्य द्वार पर ही धरने पर बैठ गए. बाद में 5 शिक्षक और शिक्षिकाओं को प्रवेश की अनुमति दी गई.

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